एक बार फिर वीरेंद्र कुमार खटीक (Virendra Kumar Khatik) टीकमगढ़ से भाजपा के उम्मीदवार बनाए गए हैं। उन्होंने अपने शपथ पत्र में संपत्ति का ब्योरा दिया है, उसके मुताबिक उनकी संपत्ति में पिछले पांच साल में लगभग 48 लाख का इजाफा हुआ है। उनके पास वाहन के रूप में महज एक स्कूटर है, जिसकी कीमत पांच हजार रुपए बताई गई है। वीरेंद्र के पास 2019 में चल-अचल संपत्ति की कीमत 94 लाख 68, हजार 991 थी। अब एक करोड़ 42 लाख 70 हजार 572 रुपए की संपत्ति है। इनमें से अचल संपत्ति 1.34 करोड़ की है।
वीरेंद्र के सामने कांग्रेस के पंकज अहिरवार हैं। उनके पास संपत्ति के रूप में नकद पांच लाख रुपए, बैंक खातों में 12,320 रुपए हैं। एक बाइक है। जेवर में करीब 20 ग्राम सोना है। कीमत एक लाख रुपए बताई गई है। अचल संपत्ति की बात करें तो उसकी कीमत पंकज ने 80 लाख रुपए बताई है।
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टीकमगढ़ से सात बार से सांसद के पिता सागर में पंचर बनाने का काम किया करते थे। वे भी अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाते थे। वीरेंद्र कुमार केंद्रीय मंत्री (Union Cabinet Minister for Social Justice and Empowerment of India) जरूर हैं, लेकिन वे अपनी जमीन को कभी नहीं भूलते। आज भी वे पंचर की दुकान पर युवाओं को पंचर बनाने की तकनीक सिखाने लग जाते हैं। ऐसे ही तस्वीर अक्सर सामने आती है जब वे दिल्ली से अपने घर आते हैं। पिछली बार भी जब वे घर आए तो पत्नी ने सब्जी लाने को कह दिया, फिर क्या था मंत्रीजी ने भी थैला थाम दिया। इस पर वह पैदल ही सब्जी लेने के लिए घर से निकले तो सामने ई-रिक्शा मिल गया। ई-रिक्शा पर सवार होकर वह सब्जी मंडी पहुंचे और यहां पर देशी भिंडी की तलाश की। एक किसान के पास देशी भिंडी मिलने पर उन्होंने एक-एक भिंडी छांटी और तौल कराया और मोलभाव भी किए।
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डॉ. वीरेंद्र खटीक ने 10 सालों तक साइकिल रिपेयर कर अपने परिवार का खर्च चलाया। खटीक जब 5वीं में थे तब पिताजी की दुकान पर बैठना शुरू कर दिया था। खटीक कहते हैं कि सागर के गौरमूर्ति पर एक साइकिल रिपोयरिंग की दुकान खोली थी। सभी भाई-बहन की पढ़ाई का खर्चा भी उसी दुकान की कमाई से चलता था। खटीक ने सागर विश्वविद्यालय से पढ़ाई के दौरान साइकिल रिपोयरिंग का काम किया। कई बार लापरवाही से काम करते थे तो पिता की डांच का भी सामना करना पड़ता था। आज भी वे अपने पुराने स्कूटर पर सवार होकर जनता के सुख-दुख में हिस्सा लेने निकल पड़ते हैं। पुराना स्कूटर ही उनकी पहचान बन गया था। वे सरल और सहज स्वभाव होने के कारण स्थानीय लोगों में काफी चर्चित हैं।