टीकमगढ़

बंद हो गई दुग्ध उत्पादन को बढावा देने वाली गोपाल पुरस्कार योजना

फाइल फोटो गाय।

टीकमगढ़Dec 15, 2024 / 07:05 pm

akhilesh lodhi

फाइल फोटो गाय।

दुधारू पशु पालकों को प्रोत्साहन देने के लिए किया जा था पुरस्कृत
टीकमगढ़. प्रदेश सरकार द्वारा दुधारू पशुओं और पशु पालकों को प्रोत्साहन करने के लिए वर्ष २०११ में गोपाल पुरस्कार योजना का शुभारंभ किया गया था। इस योजना में चार लीटर से अधिक गाय और भैंस को योजना में शामिल किया जाता था। प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले प्रतियोगी को पुरस्कार दिया जाता था। लेकिन अब यह योजना दो वर्ष से शासन ने बजट जारी नहीं किया और ना ही उसे जारी करने के लिए आदेश दिया।
पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई गोपाल पुरस्कार योजना बंद पड़ी हुई है। जिले में करीब 2 साल पहले फ रवरी 2023 में आखिरी बार इस योजना के तहत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। 2024 बीतने वाला है और इस साल गोपाल पुरस्कार योजना की अब तक कोई प्रतियोगिता नहीं हुई है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने न बजट आवंटित किया और न योजना को लेकर कोई आदेश जारी किया है।
बताया गया कि वर्ष 2020 और 2021 में भी इस योजना का आयोजन नहीं हुआ था। पशुपालकों के लिए यह योजना एक महत्वपूर्ण अवसर होती है। इसके तहत पशुपालक अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं के पालन की तरफ आकर्षित होते थे। योजना के तहत सबसे ज्यादा दूध देने वाले पशु के मालिक को पशु की बेहतर देखभाल और अधिक दूध उत्पादन के लिए सम्मानित भी किया जाता था। जिला और ब्लॉक स्तर पर अलग-अलग पुरस्कार दिए जाते थे।
यही थी योजना
गोपाल पुरस्कार योजना मध्य प्रदेश शासन की एक योजना है। इसका उद्देश्य देशी नस्ल की गायों और भैंसों को ज्यादा से ज्यादा दूध देने के लिए प्रोत्साहित करना था। इस योजना में भाग लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा दूध देने वाली 10 गायों और 10 भैंसों के लिए पशु चिकित्सा संस्थानों से आवेदन लिए जाते है। योजना के तहत विकासखंड, जिला और राज्य स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इन प्रतियोगिताओं में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गायों और भैंसों को पुरस्कृत किया जाता है। पुरस्कार के लिए प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर के अलग-अलग राशि थी।
इनका कहना
पिछले वर्ष और इस वर्ष गोपाल पुरस्कार योजना का कार्यक्रम नहीं हुआ। इसमें अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों को एकत्र करके दूध निकाला जाता था। अधिक देने वाले गाय, भैंस पालकों को पुरस्कृत किया जाता था। लेकिन इस वर्ष प्रतियोगिता का आयोजन नहीं किया जा रहा है।
डॉ आरके जैन, उपसंचालक पशु विभाग टीकमगढ़।

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