मूसलाधार बारिश में भी कमी: इन तीनों जिलों में मूसलाधार बारिश में भी जमकर कमी देखी गई है। वर्ष 2001 से 2010 में टीकमगढ़ में जहां केवल 19 दिन मूसलाधार बारिश हुई है वहीं इसके पूर्व 1991 से 2000 तक 48 दिन उसके पूर्व के 10 वर्षों में 49 दिन मूसलाधार बारिश दर्ज की गई थी। यही हाल दतिया है। वर्ष 1981 से 1990 में यहां 43 दिन, 1991 से 2000 में 37 दिन तो पिछले दशक 2001 से 2010 के बीच में महज 29 दिन ही मूसलाधार बारिश दर्ज की गई। छतरपुर जिले में भी इसमें कमी दर्ज की गई है। हालांकि छतरपुर में इसमें ज्यादा अंतर नही आया है7
दतिया और छतरपुर में बड़ी ज्यादा गर्मी: बारिश में कमी और गर्मियों के दिनों में इजाफा होने के मामले में भी इन दतिया और छतरपुर के हाल ज्यादा चिंताजनक है। छतरपुर जिले में वर्ष 1981 से 1990 के बीच जहां 58 दिन तेज गर्मी पड़ी थी, वहीं 1991 से 2000 के बीच यह संख्या दोगुने से अधिक हो गई थी और 111 दिन तेज गर्मी के रिकार्ड किए गए थे। पिछले दशक 2001 से 2010 के बीच में भी यहां पर 112 दिन तेज गर्मी के रिकार्ड किए गए है। इस मामले में टीकमगढ़ के हाल ठीक है ओर यहां पर पिछले दशक के मुकाबले इस बार गर्मी के दिनों में कमी देखी गई है। 1991 से 2000 के बीच जिले में 65 दिन तेज गर्मी पड़ी थी, वहीं 2001 से 2010 में यहां पर मात्र 40 दिन ही तेज गर्मी पड़ी है।
नही चेते को होगा बुरा हाल: लगातार पर्यावरण के दोहन के कारण यह हालात पैदा हो रहे है। इस संबंध में पर्यावरणविद् एवं मौसम विज्ञानियों का कहना है कि लगातार वृक्षों की कटाई, पहाड़ों के दोहन के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। वैज्ञानिकों का कहना था कि मानसून तो हर बार आता है, लेकिन उसे आकर्षित करने वाला पर्यावरण न होने के कारण बादल निकल जाते है। यदि यही हाल रहा तो स्थितियां और भी जटिल हो जाएंगी। इसके लिए प्रशासन और आम लोगों को सोचना होगा।
कहते है अधिकारी: पर्यावरण के लगातार दोहन से यह स्थितियां निर्मित हुई है। मूसलाधार बारिश और बारिश के दिनों में कमी चिंता का विषय है। आज हमारे पर्वत वनस्पति विहीन है। ऐसे में मानूसन को आकर्षित करने वाले संसाधनों की कमी से बारिश में कमी आ रही है। इसके लिए सामुहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।- डॉ एके श्रीवास्तव, मौसम वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, टीकमगढ़।