टीकमगढ़

सबसे शुद्ध हवा दमोह की: टीकमगढ़ को इस स्तर पर आने करने होंगे प्रयास

टीकमगढ़. सागर संभाग में दमोह की हवा सबसे शुद्ध है। सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी के हालात भी बेहतर हैं। लेकिन टीकमगढ़ को दमोह के स्तर पर आने के लिए और प्रयास करने होंगे। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रदेश के सभी जिलों में वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी इंडेक्स ) के आधार पर 2023-24 की जारी की गई सालाना रिपोर्ट में ये स्थिति पाई गई है।

टीकमगढ़Dec 13, 2024 / 07:17 pm

Pramod Gour

फाइल फोटो

मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सालाना रिपोर्ट में पीएम-10 का वार्षिक औसत संतोषजनक
टीकमगढ़. सागर संभाग में दमोह की हवा सबसे शुद्ध है। सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी के हालात भी बेहतर हैं। लेकिन टीकमगढ़ को दमोह के स्तर पर आने के लिए और प्रयास करने होंगे। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रदेश के सभी जिलों में वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी इंडेक्स ) के आधार पर 2023-24 की जारी की गई सालाना रिपोर्ट में ये स्थिति पाई गई है।
दमोह प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार छतरपुर जिले में पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर) का वार्षिक औसत 57.37 है, जो कि संतोषजनक स्तर पर आता है। इस स्तर के प्रदूषण को सामान्यत सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने का खतरा कम माना जाता है।
प्रदेश में छतरपुर की रैंङ्क्षकग 8वीं है, जो एक सकारात्मक संकेत है कि यहां की हवा में प्रदूषण कम है। निवाड़ी और टीकमगढ़ जैसे अन्य जिलों की भी हवा की गुणवत्ता संतोषजनक है। निवाड़ी की रैंङ्क्षकग 9 और टीकमगढ़ की रैंङ्क्षकग 7 रही है।
पीएम-10 कण हवा में छोटे होते हैं और आसानी से फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जिससे अस्थमा, लंग्स इंफेक्शन, और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। यही कारण है कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए समय-समय पर सरकार और नागरिक दोनों को प्रयास करने होंगे।
क्या है पीएम-10

और पीएम-2.5

पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर) 10 माइक्रोमीटर से कम आकार के धूल के कण होते हैं जो सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और विभिन्न श्वसन बीमारियों का कारण बन सकते हैं। पीएम-2.5 छोटे कण होते हैं जो शरीर में गहरे तक पहुंच सकते हैं और दिल की बीमारियों सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।
हवा की गुणवत्ता के मानक

द्द पीएम 10 का 50 से कम होना अच्छे स्तर को दर्शाता है।

द्द 51 से 100 के बीच का संतोषजनक स्तर माना जाता है।

द्द अगर 100 से ऊपर होता है, तो यह हवा को अस्वस्थ बनाता है।
पानी छिड़काव से घटता है प्रदूषण

विशेषज्ञों का मानना है कि नगर पालिका को सड़कों पर पानी का छिडक़ाव करवाना चाहिए, जिससे धूल के कण हवा में न उड़े और प्रदूषण का स्तर कम रहे। खासकर गंदगी और धूल-मिट्टी से भरी सडक़ों के कारण प्रदूषण बढ़ सकता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने, वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने और ग्रीन स्पेस बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही आतिशबाजी जैसे प्रदूषण को बढ़ाने वाले तत्वों पर नियंत्रण पाने की भी जरूरत है।

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