टीकमगढ़

ना गांव में मजदूरी और ना ही बोई गई रबी फसल, पानी नहीं होने से ८० फीसदी खाली पड़ी रही जमीन

निवाड़ी जिले की ग्राम पंचायत मजल के बसाता खिरक में पानी नहीं है। जहां २० फीसदी ही खेती की गई।

टीकमगढ़Apr 04, 2021 / 09:13 pm

akhilesh lodhi

90 percent of the villagers have escaped by locking houses, the elderly and children left for guarding the house


टीकमगढ़/लुहरगुवां.निवाड़ी जिले की ग्राम पंचायत मजल के बसाता खिरक में पानी नहीं है। जहां २० फीसदी ही खेती की गई। सरकार की विभिन्न योजनाओं में मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली। परिवार का भरण पोषण करने ९० फीसदी से अधिक लोग घरों में ताला लगाकर पलायन कर गए। वहीं कुछ परिवारनों ने घरों की रखवाली के लिए बुर्जुगों और बच्चों को छोड़ दिया है। जो मवेशियों के साथ घर की सुरक्षा कर रहे है। हालांकि मामले की जानकारी सरपंच, जनपद पंचायत, राजस्व विभाग के अधिकारियों को दी गई। लेकिन ग्रामीणों का हाल जानने के लिए कोई भी अधिकारी बसाता खिरक नहीं पहुंचा।
बसाता खिरक निवासी गुड्डन आदिवासी, भगवती आदिवासी, लखनबाई आदिवासी, हन्नू आदिवासी, हरपा आदिवासी ने बताया कि यह खिरक पृथ्वीपुर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत मजल में आता है। इस खिरक में २०० एकड जमीन का क्षेत्रफल है। इस जमीन की सिंचाई के लिए नदनवारा तालाब की नहर आती है। लेकिन इस बार नहर बंद रही। जहां २० एकड जमीन में ही फसल उग पाई है। वहीं बसाता खिरक में ३०० से अधिक लोगों की जनसंख्या है। जिसमें २३० के करीब लोग मजदूरी करने दूसरे जिलों में पलायन कर गए है। जिसके कारण सुबह शाम गांव में सन्नाटा छाया रहता है।
भरण पोषण में हो रही थी परेशानी, सरपंच के पा नहीं थी कोई सुनाई
बसाता खिरक निवासी बाबूूलाल आदिवासी, बृजलाल आदिवासी, प्यारेलाल आदिवासी ने बताया कि जब तक गांव में पानी था तो बगैर खेती के सभी लोग निवास करते रहे। रबी फसलों की बुवाई की शुरूआत हुई। लेकिन तालाब की नहर खुलने से मनाही हो गई। ग्राम पंचायत में कोई मजदूरी नहीं मिल रही थी। सरपंच के पास कई बार मजदूरी दिलाने के लिए गुहार भी लगाई। लेकिन गुहार बेअसर हुई। परिवार चलाने के साथ भरण पोषण में भी परेशानियां पनपने लगी थी। बच्चों का स्कूल जाना भी बंद था। गांव छोड़कर दूसरे शहरों में मजदूरी करने पहुंच गए है।
घरों में लगा ताला, रखवाली के लिए बुर्जुग और बच्चें
नत्थू आदिवासी, गोविंदास आदिवासी ने बताया कि ३०० में से २३० के अधिक लोग दूसरे शहरों में मजदूरी करने के लिए घरों का ताला लगाकर पलायन कर गए है। कु छ परिवारों में बुर्जुग और बच्चें है। उन्हें बच्चों और घरों की रखवाली के लिए छोड़ गए। पूरे खिरक में सुबह से लेकर देर रात सन्नाटा छाया रहता है। गेहूं की बुवाई नहीं होने के कारण गांव की सड़कों के साथ खेतों में धूल उड़ती दिखाई देती है


यह है गांव में पेयजल व्यवस्था
यह खिरक मुख्य मार्ग से ४ किमी अंदर है। इस खिरक में पेयजल के लिए एक हैंडपंप है। जो देरी तक चलता है, जो जंग निकाल देता है। वस्ती में चार कुंए है। जो सूखे पड़े है। कुएं में पानी था, पेयजल सप्लाई के लिए बिजली की हल्की मशीन पड़ी थी। उसे भी सरपंच निकाल ले गया। हालांकि पाइप लाइन को बिछाया गया है। लेकिन महीनों से अधूरी पड़ी हुई है।
तीन किमी दूर से लाते है पानी
भगवान दास आदिवासी, करिया आदिवासी, किशोरी आदिवासी ने बताया कि खिरक से ३ किमी दूर निजी कुआं है। उस कुआं से ग्रामीण पानी लेने जाते है। उनका कहना था कि कुछ ही दिनों इस गांव में पानी चलेगा। उसके बाद खत्म हो जाएगा। यह स्थिति आज से नहीं हुई है। इस स्थिति को चलते चार माह होने जा रहे है। शिकायतें भी सरपंच, जनपद पंचायत पृथ्वीपुर, तहसील के साथ अन्य अधिकारियों को सूचना दे चुके है। लेकिन उनके द्वारा मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इनका कहना
यह गंभीर समस्या है। क्षेत्रीय अधिकारियों को अभी सूचना देता हूं। मजदूरों को रोजगार ग्राम पंचायत में रोजगार दिया जाएगा। पेयजल के लिए हैंडपंपों को लगाया जाएगा। गांव में जाकर समस्याओं की भी जानकारी ली जाएगी। लपरवाहों पर कार्रवाई की जाएगी।
ेंआशीष भार्गव कलेेक्टर निवाड़ी।

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