टीकमगढ़

टीकमगढ़ ब्लॉकों के साथ निवाड़ी के पृथ्वीपुर ब्लॉक में पहुंचा 150 मीट्रिक टन यूरिया

टीकमगढ़ का खाद वितरण केंद्र

टीकमगढ़Dec 19, 2024 / 11:12 am

akhilesh lodhi

टीकमगढ़ का खाद वितरण केंद्र

जिले को मिला ३१०० मीट्रिक टन यूरिया
टीकमगढ़. जिले के किसानों को यूरिया खाद की किल्लत से निजात मिलने की संभावना है। दो दिन पहले टीकमगढ़ और हरपालपुर रैक प्वाइंट पर ३१०० मीट्रिक टन यूरिया की खेप आई थी। जिसे टीकमगढ़ और निवाड़ी के एक ब्लॉक के वितरण केंद्र पर भेज दी गई है। यह परिवहन ट्रकों से किया गया है। दिसंबर के अंत और जनवरी के पहले सप्ताह यूरिया का वितरण किया जाएगा।
जिला विपणन संघ के अधिकारी ने बताया कि इस यूरिया की खेप में से जिला विपणन केंद्र, सहकारी समितियां, मार्के टिंग समितियां, भंडारण केंद्र और व्यापारियों के पास पहुंचाया जाएगा। यूरिया को दो प्रकार से वितरण किया जाएगा। कई समितियों पर नकद और कुछ समितियों पर उधार वितरण होगा। इसके वितरण की तैयारियां संबंधित सभी विभाग के अधिकारियों ने कर ली है। बताया गया कि जिले में इस वर्ष खाद के लिए वितरण केंद्रों पर रातजगा करना पड़ा। जिसमें पुलिस जवान, राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, विपणन केंद्र, प्रशासन के साथ अन्य विभाग के कर्मचारियों को परेशान होना पड़ा। जिसमें सबसे अधिक परेशान किसानों को होना पड़ा।
३० फीसदी व्यापारियों को भेजा
विभाग के अधिकारी ने बताया कि खाद वितरण की व्यवस्था बनाने प्रशासन ने व्यापारी, सरकारी विभाग कार्यालयों में वितरण केंद्र बनाए है। ३१०० मीट्रिक टन में से ३० फीसदी ९०० मीट्रिक टन यूरिया व्यापारियों को सौंपा गया है। उनके पास अधिकारियों की मौजूदगी में सरकारी दामों पर यूरिया का वितरण किया जाएगा।
इन स्थानों पर किया गया वितरण
जिला विपणन संघ के अधिकारी अनंत चतुर्वेदी ने बताया कि इस ३१०० मीट्रिक टन यूरिया की खेप में से ११५९ मीट्रिक टन, टीकमगढ़, बल्देवगढ़, पलेरा और जतारा भंडारण केंद्र, १५० मीट्रिक टन बल्देवगढ़ मार्केटिंग केंद्र, ५४ मीट्रिक टन जतारा माके टिंग केंद्र, ५४ मीट्रिक टन टीकमगढ़ मार्केटिंग केंद्र,१५० मीट्रिक टन पृथ्वीपुर मार्केटिंग केंद्र, ५४५ मीट्रिक टन सहकारी समितियां और ९०० मीट्रिक टन व्यापारियों को दिया गया है।
पहले पानी में यूरिया की पड़ेगी जरूरत
किसान रामभरोसे अहिरवार, कमलेश यादव, प्रीतम सिंह यादव, राजकुमार कुशवाहा और विजय यादव ने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर तक डीएपी के लिए संघर्ष करते रहे। दिसंबर के अंतिम सप्ताह और जनवरी के पहले सप्ताह में यूरिया की सबसे अधिक जरूरत पड़ेगी। बताया गया कि यूरिया के लिए किसानों को डीएपी की तरह परेशान नहीं होना पड़ेगा। उसकी व्यवस्थाएं संबंधित विभागों ने पूरी कर ली है।

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