भोपाल। अब तक हम आपको दुनिया के सबसे बड़े मंदिर अंकोर वाट के साथ ही दुनिया के दूसरे तीसरे और चौथे सबसे बड़े मंदिर के बारे में बता चुके हैं। क्या आप जानते हैं दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में पांचवां सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है? अगर नहीं तो यह लेख जरूर पढ़ लें। इस लेख में पत्रिका.कॉम आपको बताने जा रहा है दुनिया के पांचवें सबसे बड़े मंदिर के बारे में। साथ ही यह भी कि आप यहां कैसे और कब जा सकते हैं?
दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा मंदिर है बेलूर मठ। यह कोलकाता का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। वहीं यह रामकृष्ण मठ और मिशन का मुख्यालय भी है। हुगली नदी के तट पर बना यह मठ नदी के पश्चिमी तट पर चालीस एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। चारों ओर हरियाली से आच्छादित यह मंदिर हरे-भरे गार्डन से घिरा हुआ है। मंदिर परिसर में एक संग्रहालय और कई अन्य संबद्ध शिक्षण संस्थान भी हैं। जहां आने वाले टूरिस्ट अक्सर यहां घंटों तक समय बिताना पसंद करते हैं। बेलूर मठ में हिंदू, इस्लामी, बौद्ध और ईसाई वास्तुकला का लाजवाब उदाहरण है, जो धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक के रूप में गर्व से खड़ा है। बेलूर मठ कोलकाता के लोकप्रिय धार्मिक और पर्यटक स्थलों में से एक है, जहां हर साल हजारों तीर्थ यात्रियों और टूरिस्ट अपनी उपस्थित दर्ज कराते हैं। तो अगर आप भी अपनी फैमिली या फ्रेंड्स के साथ कोलकाता के इस खूबसूरत मठ या मंदिर में जाना चाहते हैं तो पहले जरूर जान लें ये बातें…
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स्वामी विवेकानन्द से जुड़ाव
बेलूर मठ का इतिहास मुख्य रूप से वेदांत के विख्याता और हर इंसान के लिए प्रेरणा बनने वाले आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद से जुड़ा हुआ है। जनवरी 1897 में अपने शिष्यों के साथ मिलकर स्वामी विवेकानंद ने दो मठों की स्थापना की थी, उनमें से एक मठ था बेलूर। बेलूर मठ के निर्माण का उद्देश्य युवा पुरुषों को उनके काम में प्रशिक्षित करना था, जो बाद में रामकृष्ण मिशन के ‘संन्यासी’ बन सकें। वास्तव में, स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्ष बेलूर मठ में बिताए थे। यहां आपको बताते चलें कि बेलूर मठ के निर्माण की मुख्य आधारशिला 13 मार्च 1929 को रखी गई थी, जिसके निर्माण का भार मार्टिन बर्न एंड कंपनी द्वारा संभाला गया था।
अनूठी और अद्भुत है वास्तुकला
बेलूर मठ की वास्तुकला और डिजाइन में भारतीय धर्मों की विविधता देखने को मिलती हैं। जब आप इसे अलग-अलग एंगल से देखते हैं, तो कभी यह आपको एक मंदिर, कभी मस्जिद तो कभी एक चर्च जैसा दिखाई देता है। मंदिर का मुख्य द्वार सांची स्तूप की बौद्ध शैलियों और अजंता गुफाओं के प्रवेश से प्रभावित है। खिड़कियां और बालकनियां राजपूत वास्तुशिल्प डिजाइनों और मुगल शैलियों से सुसज्जित नजर आती हैं। वहीं केंद्रीय गुंबद यूरोपीयन वास्तुकला का नमूना है। इसके अलावा, जमीन की संरचना एक ईसाई क्रॉस के आकार में है। मुख्यत: चुनार के पत्थर से निर्मित, 112.5 फीट ऊंचे इस मंदिर में भगवान गणेश और हनुमान के चित्र हैं, जो क्रमश: सफलता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो प्रवेश द्वार के खंभों के ऊपर बने हुए हैं।
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श्री रामकृष्ण मंदिर
श्री रामकृष्ण मंदिर बेलूर मठ की सबसे प्रमुख संरचना है। इसे भारतीय धर्मों की विविधता का जश्न मनाने के लिए बनाया गया है। आपको बता दें कि इस मंदिर का डिजाइन स्वामी विवेकानंद ने तैयार किया था और वास्तुकार स्वामी विज्ञानानंद थे, जो रामकृष्ण के प्रत्यक्ष मठवासी शिष्य थे।
डमरू के आकार की रामकृष्ण की आदमकद प्रतिमा
श्री रामकृष्ण की एक आदमकद प्रतिमा भी इस परिसर में स्थित है। यह प्रतिमा संगमरमर से बनी है। वहीं यह ‘डमरू’ के आकार के पेडल के ऊपर सौ पंखुडिय़ों वाले कमल पर विराजमान है। इसमें श्री रामकृष्ण के पवित्र अवशेष संरक्षित हैं। श्री रामकृष्ण की इस प्रतिमा को कोलकाता के प्रसिद्ध मूर्तिकार स्वर्गीय गोपेश्वर पाल ने बनाया था। जबकि इस मंदिर की सजावट की कल्पना कलाकार स्वर्गीय श्री नंदलाल बोस ने की थी।
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बेलूर मठ के प्रवेश द्वार पर पवित्र माता का मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर रामकृष्ण की आध्यात्मिक पत्नी सारदा देवी को समर्पित है। यहां आपको बताते चलें कि यह मंदिर ठीक उसी स्थान पर है जहां, उनके पार्थिव शरीर को जलाया गया था।
स्वामी विवेकानंद मंदिर
हुगली नदी के तट पर स्थित बेलूर मठ में स्वामी विवेकानंद की समाधि है। जहां स्वामी जी की राख रखी गई थी। स्वामी विवेकानंद मंदिर उस स्थान पर खड़ा है, जहां 1902 में स्वामी विवेकानंद के नश्वर अवशेषों का अंतिम संस्कार किया गया था।
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रामकृष्ण संग्रहालय
इस परिसर में रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय और एक संग्रहालय भी स्थित है। इसमें रामकृष्ण मठ और मिशन के बहुमूल्य ऐतिहासिक अवशेष संरक्षित किए गए हैं। इस संग्रहालय में रामकृष्ण, शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और उनके कुछ शिष्यों द्वारा उपयोग की गई कलाकृतियोंं का संग्रह है। इनमें पश्चिम में विवेकानंद द्वारा पहना गया लंबा कोट, सिस्टर निवेदिता की मेज, जैसी चीजें यहां देखी जा सकती हैं।
बेलूर मठ से सटे विशाल परिसर में रामकृष्ण मिशन से संबद्ध कई शैक्षणिक संस्थान, जैसे एक डिग्री कॉलेज और एक पॉलिटेक्निक भी स्थित हैं। इन सभी आकर्षणों ने बेलूर मठ को तीर्थयात्रा के साथ ही का एक महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है। यही नहीं यहां पसरी रहने वाली शांति लोगों को प्रकृति और आध्यात्मिकता के रंग में रंग देती है।
यहां होने वाले समारोह
इस पवित्र स्थल पर दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, काली पूजा और सरस्वती पूजा जैसे सभी पारंपरिक हिंदू त्योहार मनाए जाते हैं। बेलूर मठ में श्री रामकृष्ण, पवित्र माता और स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन भी मनाया जाता है। श्रीकृष्ण, बुद्ध, ईसा मसीह के जन्मदिन क्रिसमस के साथ ही और चैतन्य का जन्मदिवस भी धूमधाम से मनाया जाता है। प्रसिद्ध त्योहारों के अलावा बेलूर मठ चिकित्सा सेवाओं, शिक्षा, ग्रामीण उत्थान और अन्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन भी समय-समय पर करता रहता है।
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* अप्रैल से सितंबर तक – इस दौरान सुबह 6 बजे से यह 1 बजकर 30 मिनट तक खुला रहता है।
– वहीं शाम को 4 बजे से शाम 7 बजे तक टूरिस्ट यहां जा सकते हैं।
– सुबह 8:30 बजे से 11:30 बजे और दोपहर 3:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक
– दोपहर 3:30 बजे से शाम 6 बजे रामकृष्ण संग्रहालय का समय है।
एंट्री फीस?
बेलूर मठ की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को यह भी बता दें कि यहां एंट्री के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। आप बिना किसी फीस का भुगतान किए आराम से यहां घूम सकते हैं।