दिवाली के दिन भक्त घरों के अलावा मंदिरों में भी जाकर महालक्ष्मी की पूजा करते हैं। वहीं चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को लक्ष्मी पंचमी के दिन भी भक्त देवी लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ अराधना करते हैं। साथ ही उपवास भी करते हैं।
मां की पूरे विधान के साथ अगर इस दिन पूजा की जाए तो भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी की उपासना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी पंचमी को श्री पंचमी और श्री व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
वहीं माता लक्ष्मी को सप्ताह में शुक्रवार के दिन की कारक देवी माना जाता है। Jyotish में जहां शुक्र भाग्य के कारक माने गए है वहीं इस दिन की कारक देवी यानि माता लक्ष्मी धन धान्य की अधिष्ठात्री देवी माना गया है।
ऐसे में आज यानि शुक्रवार के दिन हम आपको भारत के कुछ विख्यात लक्ष्मी मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिनके संबंध में मान्यता है कि इन मंदिरों में आकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
1. महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर देश का सबसे प्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिरों में एक माना जाता है। इस मंदिर के संबंध में मान्यता है कि यहां साल में दो बार सूर्य की किरणें मां लक्ष्मी के विग्रह पर सीधी पड़ती है।
इस मंदिर का निर्माण 7वीं सदी में चालुक्य वंश के शासक कर्ण देव ने करवाया था। बताया जाता है कि यहां की लक्ष्मी प्रतिमा लगभग 7 हजार साल पुरानी है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां सूर्य देव खुद मां लक्ष्मी का पद अभिषेक करते हैं।
2. महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई
अरब सागर के किनारे मुंबई के भूलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। कहा जाता है कि यह मंदिर मुंबई शहर के सर्वाधिक प्राचीन मंदिरों में एक है।
आमतौर पर दर्शनार्थी महालक्ष्मी की वास्तविक प्रतिमा नहीं देख पाते हैं, क्योंकि वास्तविक प्रतिमा को आवरण से ढंक दिया जाता है। बताया जाता है कि असली प्रतिमा को देखने के लिए रात को यहां आना पड़ता है।
यहां पर धन की देवी महालक्ष्मी के साथ देवी महाकाली और महासरस्वती भी विद्यमान है। तीनों प्रतिमाओं को सोने के नथ, सोने की चूड़ियों और मोतियों के हार से सजाया गया है।
3. महालक्ष्मी मंदिर, श्रीपुरम
तमिलनाडु के वेल्लू जिले के श्रीपुरम गांव में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर को ‘दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर’ के रुप में जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर श्रीपुरम के निर्माण में 300 करोड़ रूपए से ज्यादा राशि की लागत आई थी।
मंदिर के आंतरिक और बाह्य सजावट में सोने का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल हुआ है। विश्व में किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना सोना नहीं लगा है।
बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में 15 हजार किलो सोना का इस्तेमाल किया गया है। 100 एकड़ में फैला यह मंदिर पहले आम लोगों के दर्शन के लिए बंद था। साल 2007 में इस मंदिर का गेट सभी लोगों के लिए खोल दिया गया।
4. पद्मावती मंदिर, तिरुचुरा
आंध्र प्रदेश में तिरुपति के पास तिरुचुरा में देवी पद्मावती का सुंदर मंदिर स्थित है। मान्यता है कि इसी मंदिर में बने तालाब में खिले कमल के फूल से ही माता लक्ष्मी ने इस रूप में जन्म लिया था।
ऐसा भी कहते हैं कि प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि यानि दीपावली के दिन भगवान नारायण इस जगह उपहार भेजते हैं।
मान्यता है कि तिरुपति बालाजी के मंदिर में मांगी गयी मन्नतें तभी पूरी होती है, जब बालाजी के साथ-साथ देवी पद्मावती का आशीर्वाद लेते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पद्मावती का जन्म कमल के फूल से हुआ है, जो इसी मंदिर के तालाब में खिला था।
5. लक्ष्मीनारायण मंदिर, नई दिल्ली
नई दिल्ली में स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ विराजित हैं। जिसे बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह लक्ष्मी नारायण मंदिर बिरला श्रृंखला का सबसे पहला मंदिर है।
इस मंदिर का निर्माण 1622 में वीरसिंह देव ने करवाया था।
फिर सन् 1793 में पृथ्वी सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। फिर सन् 1938 में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इस मंदिर का विस्तार और पुनरोद्धार कराया। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित इस मंदिर में दिवाली में देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष तौर की जाती है।