bell-icon-header
मंदिर

नवरात्रि में जानिए कहां हैं माता दुर्गा के नौ स्वरूप से जुड़े मंदिर, रोचक तथ्य भी पढ़ें

माता दुर्गा की पूजा का उत्सव देश में चार बार नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, हालांकि इनमें से दो गुप्त नवरात्रि मानी जाती हैं, जिनमें साधक ही तपस्या और साधना करते हैं। लेकिन चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) और शारदीय नवरात्रि में संत, महंत से गृहस्थ तक माता दुर्गा की पूजा (Durga Puja Utsav) में रमते हैं और नव दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं। इन दिनों चैत्र नवरात्रि चल रहा है, वैसे तो देश भर में माता जगदंबा के प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन इस चैत्र नवरात्रि पर आइये जानते हैं माता दुर्गा (Goddess Durga)के नौ स्वरूप के मंदिर यानी माता पार्वती के नव स्वरूपों के मंदिर जो उन्होंने विभिन्न समयों में धारण किए थे।

Mar 23, 2023 / 07:28 pm

Pravin Pandey

nav durga mandir

माता शैलपुत्री मंदिर, काशी
शैलपुत्री का अर्थ है हिमालय की पुत्री। मान्यता है कि जन्म के बाद शैलपुत्री काशी आईं थीं और यहीं विराजमान हो गईं। नव दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर काशी के घाट पर स्थित है।
मां ब्रह्मचारिणी मंदिर, वाराणसी
ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। माता पार्वती की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर वाराणसी के बालाजी घाट पर स्थित है। कठोर तप के बाद माता ब्रह्मचारिणी ने शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था।
मां चंद्रघंटा मंदिर, प्रयागराज
माता पार्वती की तीसरी शक्ति मां चंद्रघंटा हैं, इनके सिर पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र स्थित है। इन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए थे। इस शक्ति का मंदिर प्रयागराज में स्थित है। इसे क्षेमा माई मंदिर भी कहते हैं।
ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023: गंगा जैसी है सरयू को धरती पर लाने की कथा, माता पार्वती ने गाय बनकर की लीला

कूष्मांडा मंदिर, कानपुर
नव दुर्गा का चौथा स्वरूप कूष्मांडा का मंदिर कानपुर के घाटमपुर ब्लॉक में स्थित है। ये अपने भीतर ब्रह्मांड को समाए हुए हैं, इसीलिए इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है।
स्कंदमाता मंदिर, वाराणसी
नव दुर्गा का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता का प्राचीन मंदिर वाराणसी में स्थित है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इसके अलावा इनका एक गुफा मंदिर हिमाचल प्रदेश के खखनाल में स्थित है, वहीं इनका एक प्रसिद्ध मंदिर दिल्ली के पटपड़ गंज में स्थापित है।
कात्यायनी मंदिर, एवेर्सा
माता दुर्गा की छठीं शक्ति कात्यायनी का प्रसिद्ध मंदिर कर्नाटक के अंकोला के पास एवेर्सा में कात्यायनी बाणेश्वर के नाम से स्थित है। वहीं मथुरा के भूतेश्वर में कात्यायनी वृंदावन शक्तिपीठ स्थापित है। मान्यता है कि यहां माता सती के केशपाश गिरे थे। इनका नाम कात्यायनी पड़ने की वजह ऋषि कात्यायन की पुत्री होना बताया जाता है।
ये भी पढ़ेंः Navratri Puja 4th Day: माता की पूजा से होता है रोग शोक का नाश, जान लें मां कूष्मांडा की पूजा विधि

कालरात्रि मंदिर, वाराणसी
माता की सातवीं शक्ति कालरात्रि का मंदिर भी वाराणसी में स्थित है। यह स्वरूप संकट का नाश करने वाली हैं, इन्होंने अनेक बार राक्षसों का वध किया, इसीलिए ये कालरात्रि कहलाईं। इनकी पूजा रात में होती है।
महागौरी मंदिर, लुधियाना
माता के इस स्वरूप का रंग अत्यंत गौर (श्वेत) है, इसीलिए ये महागौरी कहलाती हैं। नव दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी का प्रसिद्ध मंदिर लुधियाना में है। यूपी के वाराणसी में भी इनका एक मंदिर है। यह भी मान्यता है कि शिव की प्राप्ति के लिए किए तप से इनका रंग काला पड़ गया था। हालांकि आदिदेव शिव ने पुनः इनका रंग श्वेत कर दिया था।
माता सिद्धिदात्री मंदिर, सतना
माता दुर्गा की नवीं शक्ति माता सिद्धिदात्री का मंदिर सतना(मध्य प्रदेश), सागर (मध्य प्रदेश), वाराणसी (यूपी), देवपहाड़ी (छत्तीसगढ़) में है। माता के इस स्वरूप की पूजा से भक्त को हर तरह की सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए ही इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Temples / नवरात्रि में जानिए कहां हैं माता दुर्गा के नौ स्वरूप से जुड़े मंदिर, रोचक तथ्य भी पढ़ें

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.