दरअसल हम बात कर रहे हैं देश में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाले धार्मिक तीर्थ स्थल माता वैष्णो देवी मंदिर की। देश के जम्मू राज्य में वैष्णो देवी का पवित्र मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर एक सुंदर, प्राचीन गुफा में है। इसे वैष्णो माता या वैष्णों देवी के रूप में भी जाना जाता है। जिन्हें देवी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का अवतार माना जाता है।
ऐेसे में पिछले वर्षों में हिंदुओं ने अपनी आराध्य देवी को दिल खोलकर चढ़ावा चढ़ाया है, जो किसी भी स्तर पर गलत भी नहीं है। ऐसे में एक आरटीआई से ये बात सामने आई कि पिछले 20 सालों में श्रद्धालुओं ने औसतन 90 किलो प्रतिवर्ष के हिसाब से माता वैष्णो देवी मंदिर में 1800 किलो सोना तो इस दौरान हर वर्ष 200 किलों चांदी औसतन के हिसाब से 4700 किलो चांदी भी चढ़ाई है। इसके अलावा 2,000 करोड़ रुपये नकद भी माता वैष्णो देवी को चढ़ावे में मिले हैं।
खास बात ये है कि पिछले साल यानि 2020 में कोरोना महामारी की वजह से धार्मिक गतिविधियों पर रोक लग गई थी, इसलिए श्रद्धालुओं की संख्या भी कम रही। लेकिन इसके बाद भी चढ़ावे में कमी नहीं आई।
वैष्णव देवी को लेकर ये भी मान्यता है कि जब तक माता नहीं चाहती तब तक उनके दर्शन कोई नहीं कर सकता है। माता के बुलावे को उनका आशीर्वाद माना जाता है। जिसके चलते हर कोई उनके बुलावे का इंतजार करता है। वहीं माता पर भक्तों के विश्वास को देखते हुए सरकार भी अब यहां तमाम तरह की सुविधाएं प्रदान कर रही है। हिंदू धर्म में वैष्णो देवी मंदिर का विशेष महत्व है और यहां दर्शन के लिए कटरा से वैष्णो देवी मंदिर के लिए 12 किमी की चढ़ाई करनी पड़ती है।
कटरा के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर की देखरेख माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड करता है। ऐसे में आरटीआई के तहत पूछे गए इन सवालों के जवाब में स्वयं माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यह पूरी जानकारी दी है। श्राइन बोर्ड के अनुसार औसतन हर साल मंदिर में 90 किलो से ज्यादा सोना चढ़ाया गया और पिछले 20 सालों के हिसाब में पता चला है कि मंदिर को 1800 किलो सोना मिला है। वहीं हर साल औसतन 200 किलो से भी ज्यादा चांदी के सिक्के, मुकुट और आभूषण भी श्रद्धालुओं ने भेंट किए हैं।
माता वैष्णो देवी गुफा की लंबाई 98 फीट है। इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है। इस चबूतरे पर माता का आसन है जहां देवी त्रिकुटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती हैं। वहीं आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भारत के अमीर श्राइन बोर्ड में से एक है। दरअसल उत्तर भारत में किसी भी धार्मिक स्थल पर इतना चढ़ावा नहीं चढ़ता, जितना वैष्णो देवी मंदिर में चढ़ता है।
आरटीआई से हुए खुलासे के मुताबिक साल 2000 में 50 लाख लोगों ने माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन किए थे, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से सिर्फ 17 लाख लोग ही मंदिर पहुंचे। वहीं साल 2018, 2019 में ये संख्या 80 लाख थी, जबकि 2011, 2012 में लगातार एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु माता के दर्शन को आए थे।
यहां भवन वह स्थान है जहां माता ने भैरवनाथ का वध किया था। प्राचीन गुफा के समक्ष भैरो का शरीर मौजूद है और उसका सिर उड़कर तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया। जिस स्थान पर सिर गिरा, आज उस स्थान को ‘भैरोनाथ के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 12 किलोमीटर और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है।