श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन का समय वृंदवन में ही बिताया था। यह सबसे फेमस और प्राचीन मंदिर भी है। भगवान कृष्ण को बांके बिहारी भी कहा जाता है इसलिए उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम भी श्री बांके बिहारी रखा गया है। जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती होने के बाद यहा श्रद्धालुओं के लिए रात 2 बजे ही मंदिर के दरवाजे खुल जाते हैं। मंगला आरती साल में केवल एक बार होती है। भगवान कृष्ण के जन्म के बाद यहां श्रद्धालुओं के बीच खिलौने, कपड़े और दूसरी चीजें बेची जाती हैं।
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका, गुजरात
यह गुजरात का सबसे फेमस कृष्ण मंदिर है इसे जगत मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का भी मुख्य हिस्सा है। चारों धामों में से यह पश्चिमी धाम है। यह मंदिर गोमती क्रीक पर स्थित है और 43 मीटर की ऊंचाई पर मुख्य मंदिर बना है।
इस मंदिर की यात्रा के बिना आपकी गुजरात में धार्मिक यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी। जन्माष्टमी के दौरान यहां बेहद उमंग भरा माहौल देखने को मिलता है। पूरा मंदिर अंदर और बाहर से खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।
जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा
पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं। पुरी में बना जगन्नाथ मंदिर भारत में हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यह धाम तकरबीन 800 सालों से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इसी तरह मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है। इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी तरफ है।
उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। जन्माष्टमी से अधिक रौनक यहां वार्षिक रथ यात्रा के दौरान होती है। यह रथ यात्रा धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें भाग लेने और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं।
हर साल इस रथ यात्रा का आयोजन होता है। इसके लिए तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं। सबसे आगे बलराम जी का रथ रहता है, फिर बहन सुभद्रा का रथ रहता है और उसके भी भगवान कृष्ण अपने रथ में सवार होकर चलते हैं।
श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपी
यह कर्नाटक का सबसे फेमस पर्यटन स्थल भी है इस मंदिर की खासियत है कि यहां भगवान की पूजा खिड़की के नौ छिद्रों में से ही की जाती है। यह हर साल पर्यटक का तांता लगा रहता है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां की रौनक देखते ही बनती है। पूरे मंदिर को फूलो और लाइट्स से सजाया जाता है। त्योहार के दिन यहां काफी भीड़ होती है और आपको दर्शन के लिए 3-4 घंटे तक इंतजार करना पड़ सकता है।
इस मंदिर से एक अनोखी कहानी जुड़ी हुर्इ है जिसमें कहा गया है कि एक बार भगवान कृष्ण के अन्नय भक्त कनकदास को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नही दी गई थी। इस बात से वे बहुत दुखी हुए आैर मंदिर के पिछवाड़े में जा कर अश्रु पूरित नेत्रों के साथ तन्मयता से भगवान की प्रार्थना करने लगे।
भगवान कृष्ण से उनकी पीड़ा से अत्यंत दुखी हुए आैर उनकी भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्हें दर्शन देने के लिए उन्होंने मठ में स्थित मंदिर के पीछे एक छोटी सी खिड़की बना दी। आज तक, भक्त उसी खिड़की के माध्यम से भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं।
यह गिरिधर गोपालजी का फेमस मंदिर है। यहां वे व्यापारी भगवान को अपना बिजनेस पार्टनर बनाने आते हैं, जिन्हें अपने व्यापार में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होता है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है जिनका संबंध मीरा बाई से भी बताया जाता है। यहां मीरा के गिरिधर गोपाल को बिजनस पार्टनर होने के कारण श्रद्धालु सेठ जी नाम से भी पुकारते हैं और वह सांवलिया सेठ कहलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सांवलिया सेठ ही मीरा बाई के वो गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह दिन रात पूजा किया करती थीं।
ये मंदिर भी है बहुत खास…
– मथुरा जन्मभूमि का मंदिर : श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश की प्राचीन नगरी मथुरा के कारागार में हुआ था। उस स्थान पर वर्तमान में एक हिस्से पर मंदिर और दूसरे पर मस्जिद बनी हुई है। सबसे पहले ईस्वी सन् 1017-18 में महमूद गजनवी ने मथुरा के समस्त मंदिर तुड़वा दिए थे। तभी से यह भूमि भी विवादित हो चली है।
– गोकुल का मंदिर : भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता। गोकुल मथुरा से 15 किलोमीटर दूर है। यमुना के इस पार मथुरा और उस पार गोकुल है। कहते हैं कि दुनिया के सबसे नटखट बालक ने वहां 11 साल 1 माह और 22 दिन गुजारे थे।
वर्तमान की गोकुल को औरंगजेब के समय श्रीवल्लभाचार्य के पुत्र श्रीविट्ठलनाथ ने बसाया था। गोकुल से आगे 2 किमी दूर महावन है। लोग इसे पुरानी गोकुल कहते हैं। यहां चौरासी खम्भों का मंदिर, नंदेश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ आदि मंदिर हैं। संपूर्ण गोगुल ही मंदिर है।
– वृंदावन का मंदिर : मथुरा के पास वृंदावन में रमण रेती पर बांके बिहारी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहीं पर प्रेम मंदिर भी मौजूद है और यहीं पर प्रसिद्ध स्कॉन मंदिर भी है जिसे 1975 में बनाया गया था। यहां विदेशी श्रद्धालुओं की भी अच्छी-खासी तादाद है जो कि हिन्दू हैं। इसी बृज क्षेत्र में गोवर्धन पर्वत भी है जहां श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक मंदिर है।
– बरसाना का राधा-कृष्ण मंदिर : मथुरा के पास ही बरसान है। बरसाना के बीचोबीच एक पहाड़ी है। उसी के ऊपर राधा रानी मंदिर है। राधा-कृष्ण को समर्पित इस भव्य और सुन्दर मंदिर का निर्माण राजा वीर सिंह ने 1675 में करवाया था। दरअसल, राधा रानी बरसाने की ही रहने वाली थी।
– श्रीकृष्ण निर्वाण स्थल : गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पास प्रभास नामक एक क्षेत्र है जहां पर यदुवंशियों ने आपस में लड़कर अपने कुल का अंत कर लिया था। वहीं एक स्थान पर एक वृक्ष ने नीचे भगवान श्रीकृष्ण लेटे हुए थे तभी एक बहेलिए ने अनजाने में उनके पैरों पर तीर मार दिया जिसे बहाना बनाकर श्रीकृष्ण ने अपनी देह छोड़ दी।
प्रभास क्षेत्र काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित बीराबल बंदरगाह की वर्तमान बस्ती का प्राचीन नाम है। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह विशिष्ट स्थल या देहोत्सर्ग तीर्थ नगर के पूर्व में हिरण्या, सरस्वती तथा कपिला के संगम पर बताया जाता है। इसे प्राची त्रिवेणी भी कहते हैं। इसे भालका तीर्थ भी कहते हैं।
– श्रीनाथजी का मंदिर : राजस्थान के नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर। यहां भगवान श्रीकृष्ण को श्रीनाथ कहते हैं। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों में सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा धान उदयपुर से लगभग 48 किलोमीटर दूर राजसमंद जिले में बनास नदी के तट पर स्थित हैं। जब क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने गोकुल का मंदिर तोड़ने का आदेश दिया तब वल्लभ गोस्वामी यहां की मूर्ति लेकर नाथद्वारा में आ गए और यहां उस मूर्ति की पुन: स्थापना की। ये मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था।
– अरुलमिगु श्री पार्थसारथी स्वामी मंदिर : 8वीं सदी में बना यह मंदिर चेन्नई में स्थित है। यहां पर भगवान श्रीविष्णु की कई आकर्षक मूर्तियां मौजूद हैं। यह मंदिर भी पूरे दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है।
– सांदीपनि आश्रम उज्जैन : मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ उज्जैन में सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण के पढ़ाई की थी। इसीलिए यह स्थान भी बहुत महत्व रखता है। यहां भी श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर है।
-पंढरपुर का विठोबा मंदिर : पंढरपुर का विठोबा मंदिर पश्चिमी भारत के दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य में भीमा नदी के तट पर शोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है। इस मंदिर में विठोबा के रूप में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। यहां भक्तराज पुंडलिक का स्मारक बना हुआ है।