मंदिर

वर्षा की सटीक भविष्यवाणी करता है कानपुर का जगन्नाथ मंदिर

कानपुर में अति प्राचीन भगवान जगन्नाथ का मंदिर सदियों से मानसून की सटीक भविष्यवाणी के लिये आसपास के क्षेत्रों में विख्यात है

Jan 05, 2016 / 02:06 pm

सुनील शर्मा

jagannath temple kanpur

उत्तर प्रदेश के औद्यागिक नगर कानपुर में अति प्राचीन भगवान जगन्नाथ का मंदिर सदियों से मानसून की सटीक भविष्यवाणी के लिये आसपास के क्षेत्रों में विख्यात है। जिले में भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय के बेहटा गांव में स्थित मंदिर की छत से पानी की बूंद टपकने से क्षेत्रीय किसान समझ जाते है कि मानसून के बादल नजदीक ही हैं।

चिलचिलाती गर्मी के बीच मानसून आने से करीब एक सप्ताह पहले मंदिर की छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है मगर वर्षा शुरू होने के साथ छत का अंदरूनी भाग पूरी तरह सूख जाता है।

पुरातत्व विभाग ने मंदिर के इतिहास को लेकर अब तक तमाम सर्वेक्षण किए है मगर जीर्ण हालत के मंदिर की आयु के बारे में जानकारी नही मिल सकी है। पुरातत्व वैज्ञानिको के अनुसार मंदिर का अंतिम बार जीर्णोद्वार 11वीं सदी के आसपास प्रतीत होता है।

बौद्ध मठ जैसे आकार वाले मंदिर की दीवारें करीब 14 फिट मोटी हैं। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां विराजमान है। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में सूर्य और पदमनाभम की भी मूर्तियां है। मंदिर के बाहर मोर का निशान और चक्र बने होने से चक्रवती सम्राट हर्षवर्धन के काल में मंदिर के निर्माण का अंदाज लगाया जाता है।

मंदिर के पुजारी दिनेश शुक्ल ने बताया कि मंदिर की आयु और पानी टपकने की जांच करने यहां कई दफा पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिक आये मगर न/न तो मंदिर के वास्तविक निर्माण का समय जान पाए और न/न ही बारिश से पहले पानी टपकने की पहेली सुलझा पाए।

मंदिर में वर्षा की बूंद जितनी मोटाई में गिरती है बरसात भी उसी तरह की होती है। मंदिर में पानी की बूंद टपकते ही किसान हल बैल लेकर खेतों में पहुंच जाते हैं। मंदिर जीर्णशीर्ण हालत में है। यहां आमतौर पर इलाके के लोग ही दर्शन करने आते हैं।

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