बरेली कस्बे से महज सात किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर (chind dham mandir mp) में दर्शन के लिए मंगलवार और शनिवार को तड़के से ही भीड़ लग जाती है। यहां लोग परिवार के साथ आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर भंडारा लगाकर प्रसाद बांटते हैं। दिन रात यहां भजन कीर्तन होता है और मेले जैसा माहौल रहता है।
हनुमानजी को कहते हैं दादाजीः यहां छींद धाम में हनुमानजी को भक्त दादाजी कहते हैं। यहां मंदिर स्थापना की कहानी भी हैरान करने वाली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां मंदिर बने 200 साल से अधिक हो गए हैं। पहले यहां कृषि भूमि थी, खेती का काम करते हुए इस भूमि के मालिक को बजरंगबली की प्रतिमा मिली थी। इस पर उसने वहीं पर छोटी सी मढ़िया बनाकर मूर्ति स्थापितकर दी।
यहां पूजा पाठ होने लगी, लोगों की मनोकामना पूरे होने के किस्से और चमत्कार फैलते गए और लोग अपनी अरज कहने आने लगे और धीरे-धीरे मंदिर के श्रद्धालुओं की संख्या हजारों और लाखों में पहुंच गई। यहां मंदिर परिसर में पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिणमुखी हनुमान यानी दादाजी की प्रतिमा स्थापित है।
मान्यता है कि किसी समय यहां हनुमानजी के अनन्य भक्त ने यहां साधना की थी। साधना से प्रसन्न होकर हनुमानजी साक्षात प्रतिमा में वास करने लगे। मान्यता है कि दादाजी सभी के कष्टों को दूर करते हैं।
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मनोकामना पूरी होने पर भंडारा वैसे तो यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग दर्शन करते हैं। लेकिन रामनवमी, हनुमान जयंती, नव वर्ष, दशहरा, मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर लोगों की संख्या बढ़ जाती है। मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार भारी भीड़ लगती है। ऐसी मान्यता है यहां पांच मंगलवार हाजिरी लगाने से बजरंगबली हर मनोकामना पूरी करते हैं। यहां मनोकामना पूरी होने पर भक्त भंडारा कराते हैं और भजन कीर्तन का आयोजन करते हैं।
मनोकामना पूरी होने पर भंडारा वैसे तो यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग दर्शन करते हैं। लेकिन रामनवमी, हनुमान जयंती, नव वर्ष, दशहरा, मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर लोगों की संख्या बढ़ जाती है। मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार भारी भीड़ लगती है। ऐसी मान्यता है यहां पांच मंगलवार हाजिरी लगाने से बजरंगबली हर मनोकामना पूरी करते हैं। यहां मनोकामना पूरी होने पर भक्त भंडारा कराते हैं और भजन कीर्तन का आयोजन करते हैं।
भक्त चढ़ाते हैं चोला छींद वाले दादाजी से गुहार के बाद मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां पैदल ही पहुंचते हैं और रुद्रावतार को चादर झंडा और चोला चढ़ाते हैं।