मंदिर

पालकी से मंदिर परिसर पधारे बाबा केदार, एक झलक के लिए उमड़ी भीड़, 27 अप्रैल को बद्रीनाथ के भी खुल जाएंगे कपाट

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की 22 अप्रैल से शुरुआत हो गई है। आज पालकी से बाबा केदार भी रावल निवास से केदारनाथ मंदिर पहुंच गए। बाबा की पालकी देखने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी, अब रोजाना और भक्त-भगवान की केदारनाथ मंदिर परिसर में भेंट होगी। इससे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खोले जा चुके हैं, अब बद्रीनाथ के ही कपाट खुलने बाकी हैं, जो 27 अप्रेल को खुल जाएंगे।

Apr 25, 2023 / 06:02 pm

Pravin Pandey

kedarnath ki palaki

आठ हजार श्रद्धालु बने साक्षीः आज जब केदार नाथ रावल निवास से मंदिर परिसर के लिए चले तो उनके पीछे भक्तों का कांरवां चल पड़ा। सड़कों गलियों में तिल भर पैर रखने की जगह नहीं थी। पालकी में सवार बाबा की एक झलक के लिए भक्तों का तांता लगा था। इस सालाना उत्सव का साक्षी बनने के लिए देशभर से श्रद्धालु वहां पहुंचे थे। इस दौरान आठ हजार लोगों ने बाबा केदार की एक झलक देखी और निहाल हो गए।

इसके लिए केदारनाथ मंदिर को 35 कुंतल फूलों से सजाया गया था। मंगलवार सुबह 6.20 बजे बाबा के लिए मंदिर का कपाट खुला और बाबा ने प्रवेश किया। मंदिर का द्वार मुख्य पुजारी जगद्गुरु रावल भीम शंकर ***** शिवाचार्य ने द्वार खोला। आर्मी बैंड ने केदारनाथ का स्वागत किया, पूरा इलाका हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजता रहा, जब केदारनाथ के आगमन का मौका था तो सीएम तक पलक-पांवड़े बिछाए खड़े रहे।

अब बाबा छह महीने यहीं रहेंगे। 27 अप्रैल को बदरिकाश्रम के भी कपाट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। इससे पहले अक्षय तृतीया के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खोल दिए गए थे।

केदारनाथ के लिए पंजीकरण बंदः बहरहाल 29 अप्रैल तक मौसम खराब होने और बर्फबारी की आशंका के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ यात्रा के लिए 30 अप्रैल तक पंजीकरण बंद कर दिया है। ऋषिकेश, गौरीकुंड, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग में रूके श्रद्धालुओं को वहीं पर रहने की सलाह दी गई है। हालांकि जिन यात्रियों ने केदारघाटी में ठहरने की बुकिंग करा रखी है, उन्हें आगे बढ़ने दिया जा रहा है।
ये भी पढ़ेंः केदारनाथ के पीछे है आदि शंकराचार्य की समाधि, जानें खास बातें

No data to display.इस वेबसाइट पर करा सकते हैं पंजीकरणः बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा के लिए https://badrinath-kedarnath.gov.in/DefaultHindi.aspx इस वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकते हैं। चारधाम यात्रा की शुरुआत हरिद्वारसे की जा सकती है, जहां की गंगा आरती देशभर में मशहूर है, जिसका अगला पड़ाव ऋषिकेश होता है।
चार धाम यात्रा से जुड़ी मान्यताः हिंदू धर्म मानने वालों की मान्यता है कि हर हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार चार धाम यात्रा करनी चाहिए, ताकि मंदिरों को सजाने वाले देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो।
केदारनाथ के कपाट खुलने का समयः बता दें कि केदारनाथ के कपाट पिछले साल 27 अक्टूबर 2022 को बंद हुए थे। 25 अप्रैल को ये कपाट खुल गए, अब छह महीने केदारनाथ मंदिर में भक्त दर्शन कर पाएंगे। शीतकाल में छह महीने मंदिर के कपाट बंद रहने के लिए पुजारी एक दीपक जलाते हैं, भीषण सर्दी के बाद जब कपाट खोले जाते हैं तो यह दीपक जलता रहता है। कहा जाता है कि पट खोलने और बंद करने के दौरान भैरव बाबा की पूजा की जाती है। इस दौरान भैरव बाबा मंदिर की रक्षा करते हैं।

बदरिकाश्रमः बदरीनाथ भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक है, योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, योग बद्री, वृद्ध बद्री और बदरीनाथ मंदिर पंच बद्री का हिस्सा है। यहां शालिग्राम पत्थर की बदरिनाथ जी की स्वयंभू मूर्ति की पूजा की जाती है। यह मूर्ति चतुर्भुज अर्धपद्मासन ध्यानमग्न मुद्रा में है। यह मंदिर चमोली की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है।
कथाओं के अनुसार राक्षस सहस्त्रकवच के अत्याचारों से परेशान होकर ऋषि मुनियों की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने धर्म के पुत्र के रूप में दक्ष प्रजापति की पुत्री मातामूर्ति के गर्भ से नर नारायण अवतार लिया था और यहां पर कठोर तपस्या की थी। जब भगवान नर नारायण बाल रूप में थे तब माता लक्ष्मी भी बेर वृक्ष के रूप में अवतरित हुईं और भगवान को धूप, वर्षा से बचाने के लिए उनको ढंक लिया। बेर वृक्ष को बदरी कहा जाता है और उनके नाथ को बदरीनाथ।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Temples / पालकी से मंदिर परिसर पधारे बाबा केदार, एक झलक के लिए उमड़ी भीड़, 27 अप्रैल को बद्रीनाथ के भी खुल जाएंगे कपाट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.