मंदिर

धर्मराजेश्वर मंदिर- इसमें शिखर पहले बना और नीचे का हिस्सा बाद में

– धर्मराजेश्वर मंदिर: इंजीनियरिंग का अदभुत नमुना

Aug 14, 2023 / 10:34 am

दीपेश तिवारी

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देश के विभिन्न स्थानों पर जगह जगह देवों के मंदिर मौजूद हैं, सनातन धर्म के प्रमुख देवों से एक भगवान शिव भी इन्हीं प्रमुख देवों में से एक हैं। इन दिनों सावन का महीना चल रहा है और यह माह भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे है जो अपने आप में अत्यंत अनूठा है।

दरअसल मध्यप्रदेश के मंदसौर जिला मुख्यालय से 106 किमी दूर गरोठ तहसील का धर्मराजेश्वर मंदिर अपने आप में अनूठा है। धामनार मूल नाम वाले इस मंदिर को विशाल चट्टान काटकर बनाया है। इसमें शिखर पहले बना और नीचे का हिस्सा बाद में। गुफा मंदिर के नाम से भी पहचाने जाने वाला यह मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर शिव और विष्णु दोनों को समर्पित है। इसके चारों ओर 1415 मीटर में सात छोटे मंदिर हैं।

हर मंदिर एक अलग देवता को समर्पित है। मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ बड़ा शिवलिंग भी है। यहां 170 गुफाएं हैं, जो जैन सभ्यता से संबंधित हैं। गुफाओं में जैन तीर्थंकर ऋषभ देव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ और महावीर के रूप में वर्णित पांच मूर्तियां पाई गई हैं। हालांकि पांच होने से स्थानीय लोग इन्हें पांडवों की मूर्ति मानते हैं।

एलोरा के कैलाश मंदिर जैसाद डिजाइन
धर्मराजेश्वर मंदिर की वास्तुकला एलोरा के कैलाश मंदिर के समान है। यह मंदिर एकात्मक शैली में बना है। केंद्र में 14.53 मीटर की ऊंचाई और 10 मीटर की चैड़ाई वाला एक बड़ा पिरामिड के आकार का मंदिर है। मंदिर के शिखर को उत्तर भारतीय शैली में डिजाइन किया गया है। मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों से उकेरा गया है। मंदिर जमीन के अंदर एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है।

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धर्मराजेश्वर मंदिर भले ही जमीन के अंदर बना है, लेकिन सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह तक जाती है। ऐसा लगता है मानो भगवान सूर्य घोड़ों पर सवार होकर शिव और विष्णु के दर्शन के लिए आए हों। यह प्रदेश का ऐसा इकलौता मंदिर है, जिसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर हुआ है। यह आधुनिक इंजीनियरिंग को चुनौती भी देता है।

ऐसे पहुंचें यहां
यह मंदसौर से करीब 140 किमी दूर है। यह चांदवास गांव में है, लेकिन गांव से भी चार किमी दूर है। यहां पहुंचने के दो रास्ते हैं। मंदसौर, सीतामऊ और बसेई से कुरावन होकर मेलखेड़ा और वहां से चांदवास जाना होता है। दूसरा रास्तारू मंदसौर से सुवासरा, शामगढ़ से मेलखेड़ा होते हुए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

निकटतम रेलवे स्टेशन – शामगढ़ से 22 किलोमीटर दूरी पर।

निकटतम हवाई अड्डा – इंदौर के देवी अहिल्या बाई एयरपोर्ट से 167 किमी दूर।

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