अंबिकापुर/सरगुजा. मैनपाट में भूख की वजह से हुए बच्चे की मौत ने शासन व प्रशासनिक तंत्र को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया है। नींद से जागा प्रशासनिक अमला इस तपती गर्मी में जिले भर के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे बच्चों की तलाश कर रहा है। जो या तो पालक विहीन हैं या फिर उनके अभिभावक उनका लालन-पालन नहीं कर पा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि किसी बड़े हादसे के बाद ही ऐसी सक्रियता क्यों नजर आती है। गौरतलब है कि मैनपाट में शुक्रवार की सुबह एक बच्चे की भूख से तड़पकर मौत हो जाने का मामला प्रकाश में आया था। बच्चे की मौत के बाद जिले के आला अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार संस्थाओं की कुंभकरणी निंद्रा जरूर टूटी और इससे कुछ बच्चों का जरूर भला हो गया। बच्चे की मौत के बाद प्रशासनिक अमला मैनपाट के नर्मदापुर खालपारा पहुंचकर वहां की परिस्थितियों से अवगत हुआ। मृत बच्चे के चाचा व अन्य लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों को बताया कि सागत राम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से सारी परिस्थितियां निर्मित हुई। सागत राम के पास अपने घर नर्मदापुर के खालपारा से जाने के दौरान झोले में चावल भी था। अभियान चला कर किया जा रहा सर्वे जिला बाल संरक्षण अधिकारी चंद्रवंश सिंह सिसोदिया ने बताया है कि रविवार को बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई, चाईल्ड लाईन सरगुजा, उदयपुर एवं सीतापुर के सहयोग से विशेष अभियान चलाकर बच्चों का सर्वे किया जा रहा है। रविवार को केन्द्रीय जेल अम्बिकापुर के सर्वे के दौरान अपने पीछे बच्चे छोडऩे वाले 38 महिला एवं पुरूष बंदी की पहचान की गई, इनमें सरगुजा जिले के 26 बंदी हैं। सरगुजा जिले के 25 पंचायतों में से 35 बच्चों का चिन्हांकन किया गया है। इनमें 24 बालक एवं 11 बालिकाएं हैं। सन्मार्ग बाल गृह सरगुजा में 9 बालकों को तथा 1 बालिका को नारी निकेतन में संरक्षित किया गया है। खालपारा, नर्मदापुर एवं छिदंपारा के संरक्षित किए गए बच्चों में राजाराम, फिरंगसाय, तिरंगसाय, फूलंगसाय, लवली सोनवानी, इन्द्रजीत सोनवानी, अमर कुमार, ऋतिक चौधरी एवं रितेश चौधरी शामिल है। प्रशासन रखेगा बच्चों का ख्याल मासूम शिवकुमार की मौत ने अधिकारियों को जिले के असमर्थ बच्चों की चिंता करने को मजबूर कर दिया। कलक्टर के निर्देश पर अब प्रशासनिक अमला गांव-गांव जाकर ऐसे बच्चों को चिन्हांकित कर रहा है, जिनके माता-पिता नहीं है तथा जिनके अभिभावक उनका पालन पोषण करने में असमर्थ हैं। इसके लिए संबंधित बच्चे, उनके रिश्तेदार अथवा कोई भी जानकार व्यक्ति टोल फ्री नंबर 1098 पर सम्पर्क कर सकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग की एकीकृत बाल संरक्षण इकाई ऐसे बच्चों को संरक्षण देकर उनके पालन-पोषण एवं पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। कलक्टर ऋतु सैन ने बताया है कि वर्तमान में प्रशासन के पास इस तरह के 100 बच्चों को रखने की क्षमता है। उन्होंने जिले के लोगों से अपील की है कि ऐसे बच्चों का पता चलने पर वे प्रशासन को तत्काल सूचना दें, ताकि ऐसे बच्चों को संरक्षित किया जा सके।