बिलीमोरा-वघई के बीच का पूरा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। आदिवासी इलाकों के लिए बिलीमोरा-वघई नेरोगेज लाइन जीवनरेखा का काम करती है। बिलीमोरा में काम करने वाले डांग के गरीब और मध्यम वर्ग के लोग दैनिक रोजगार के लिए इसी ट्रेन से सफर करते है। दिसम्बर में बिलीमोरा-वघई नेरोगेज लाइन बंद होने की घोषणा के बाद इन आदिवासियों में अपने भविष्य को लेकर अंधकार दिख रहा था, लेकिन जनप्रतिनिधियों की मांग के बाद भारतीय रेलवे ने इस नेरोगेज लाइन को हैरिटेज लाइन घोषित कर दिया। इसके साथ ही बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन में एसी कोच लगाकर पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना भी बनाई गई।
इसलिए ट्रेन का हेरिटेज महत्त्व वड़ोदरा के सयाजीराव गायकवाड़ ने बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन की शुरुआत ब्रिटिश शासन में 1913 में की थी। उन्होंने आदिवासी इलाकों को विकसित करने के इरादे से ट्रेन की शुरुआत की थी। आदिवासी इलाकों को शहर से जोडऩे वाली एकमात्र बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन आगामी कुछ दिनों में नए रंगरुप में दिखाई देने लगेगी। पश्चिम रेलवे ने बुधवार को बिलीमोरा-वघई नेरोगेज ट्रेन में एक एसी कोच जोडक़र उसका ट्रायल रन पूरा किया है। आगामी दिनों में दो से तीन और ट्रायल रन होने की जानकारी मिली है।
रेलवे ने बताया कि ट्रायल रन में एडीआरएम (टी), सीनियर डीओएम (जी), सीनियर डीईएन (एस) और सीनियर डीएमई समेत अन्य अधिकारी शामिल हैं। हाल में कोविड-19 महामारी के चलते नियमित ट्रेनों का परिचालन बंद है। लेकिन इसी दौरान ट्रायल रन को पूरा करके रेलवे आगामी दिनों में जल्द ही यह लाइन शुरू कर सकती है। नवसारी जिले के बिलीमोरा स्टेशन से डांग जिले की वघई तहसील को जोड़ती है। यह नेरोगेज ट्रेन सुबह और शाम एक-एक फेरा लगाती है। इस ट्रेन से रोजाना सैकड़ों यात्री आवाजाही करते है। सफर करने वालों में छोटे-छोटे व्यापारी और नौकरीपेशा यात्रियों की संख्या अधिक होती है। इस मार्ग पर दूसरी कोई बेहतर परिवहन व्यवस्था नहीं है।
