पश्चिम रेलवे के मुम्बई मंडल में मुम्बई के बाद सूरत सबसे अधिक आय देने वाला स्टेशन है। इसमें ट्रेन तथा स्टेशन पर यात्रियों के टिकटों की जांच करने वाला स्टाफ भी बड़ी भूमिका निभाता है। सूरत और उधना से यूपी-बिहार की ओर जाने वाली ट्रेनों में मुम्बई रेल मंडल के अधिकारियों द्वारा टिकट चेकिंग स्टाफ की विशेष ड्राइव लगाई जाती है। इन ट्रेनों में ताप्ती गंगा एक्सप्रेस, सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस, उधना-दानापुर एक्सप्रेस, उधना-वाराणसी भोलेनगरी, उद्योगकर्मी और श्रमिक एक्सप्रेस शामिल हैं। टिकट चेकिंग स्टाफ नए सर्कुलर से परेशान है।
स्टाफ के मुताबिक १५ फरवरी, २०१० को जारी सर्कुलर में टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए ड्यूटी की रूपरेखा तैयार की गई थी। प्रथम एसी, द्वितीय एसी, तृतीय एसी शयनयान में ट्रेन शुरू होने वाले स्थान से चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ को पहले चरण में तीन कोच जांचने होते थे। बाद में बीच रास्ते में चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए पांच कोच जांचने का नियम बनाया गया। एसी चेयरकार, द्वितीय श्रेणी शयनयान और द्वितीय श्रेणी बैठकयान में ट्रेन शुरू होने वाले स्थान से चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए दो कोच तथा बीच रास्ते से चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए तीन कोच जांचने का नियम था।
वर्ष २०१४ में टिकट चेकिंग स्टाफ के नियमों में फेरबदल किया गया। फिलहाल अपर क्लास में प्रथम एसी, द्वितीय एसी, तृतीय एसी शयनयान में ट्रेन शुरू होने वाले स्थान से चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए पांच कोच तथा लोअर क्लास एसी चेयरकार, द्वितीय श्रेणी शयनयान और द्वितीय श्रेणी बैठकयान में ट्रेन शुरू होने वाले स्थान से चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए तीन कोच तथा बीच रास्ते से चढऩे वाले टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए पांच कोच जांचने का नियम है।
रेल कर्मचारियों ने बताया कि नए सर्कुलर में ट्रेन सुप्रिटेंडेंट का कार्य भी टिकट चेकिंग स्टाफ को सौंपने की तैयारी की जा रही है। रेलवे ने स्टाफ बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं दिया। नया सर्कुलर पश्चिम रेलवे के अलग-अलग मंडलों को भेज दिया गया है। ट्रेनों में चलने वाला टिकट चेकिंग स्टाफ पहले से वर्क लोड से परेशान है। नए फरमान ने उसकी परेशानी और बढ़ा दी है।
सूरत के टिकट चेकिंग स्टाफ ने बताया कि पहले स्टेशन पर तैनात एक टीसी पांच सौ यात्रियों को जांचता था। 2014 से लागू सर्कुलर में एक टीसी को एक हजार यात्रियों को जांचने की जिम्मेदारी दी गई। कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे व्यवस्था बढ़ाती जा रही है, लेकिन टिकट चेकिंग स्टाफ की संख्या वहीं की वहीं है। अधिकारियों द्वारा सौंपे जाने वाले कार्य भी बढ़ते जा रहे हैं, जिससे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
वेकेशन में टार्गेट का दबाव
पश्चिम रेलवे में अलग-अलग मंडलों में कार्यरत टिकट चेकिंग स्टाफ टार्गेट पूरा करने के लिए सूरत और उधना स्टेशन आते हैं। यूपी-बिहार की ओर जाने वाली ट्रेनों में सबसे अधिक रसीदें बनाई जाती हैं। रेल कर्मचारियों ने बताया कि आम दिनों में प्रत्येक टीसी के लिए सात से आठ हजार रुपए की रसीद बनाने का टार्गेट रहता है, लेकिन दीपावली और गर्मी की छुट्टियों में प्रत्येक टीसी को पंद्रह से तीस हजार रुपए तक की रसीद बनाकर राशि जमा करनी होती है। कुछ टीसी एक दिन में अस्सी हजार से लाख रुपए तक का जुर्माना वसूल करते हैं।
काम का बोझ बढ़ा
टीसी टिकट जांचने के साथ दूसरे कितने कार्य अच्छी तरह निभाएगा? ट्रेन सुप्रिटेंडेंट की पोस्ट में तरह-तरह के कार्य टिकट चेकिंग स्टाफ को सौंपने की तैयारी है, लेकिन उसे कोई विशेष अधिकार नहीं दिए गए हैं। पिछले कुछ साल में कर्मचारियों पर वर्क लोड बढ़ा है। पी.एस. चौहाण, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, आइआरटीसीएसओ