सूरत

अपनों को ही ढूंढ पाने में सूरत पुलिस लाचार

अत्याधुनिक कमांड एण्ड कंट्रोल रूम से लैस पुलिस खटोदरा थाने के पुलिसकर्मियों के भागने के रास्ते बंद नहीं कर सकीपहले चार और अब 8 पुलिसकर्मी हो गए फरार,

सूरतJun 04, 2019 / 12:40 pm

Dinesh M Trivedi

अपनों को ही ढूंढ पाने में सूरत पुलिस लाचार

सूरत. एक-दो मामलों को छोड़ दें तो पिछले एक दशक में शहर में घटी लगभग सभी बड़ी सनसनीखेज वारदातों के आरोपियों को देश के विभिन्न कोनों से ढूंढ कर गिरफ्तार करने में सफल रही सूरत पुलिस अलग-अलग मामलों में फरार अपने ही महकमे के एक दर्जन आरोपियों को ढूंढने में लाचार नजर आ रही है। पुलिस उनकी खोज के लिए सभी तरह के प्रयासों के दावे तो कर रही है, लेकिन धरातल पर परिणाम नजर नहीं आ रहे हंै। इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हंै।

पिछले एक दशक में सूरत में कई सनसनीखेज वारदातें हुई हंै। जैसे पांडेसरा में मां-बेटी से बलात्कार के बाद हत्या, डिंडोली-लिम्बायत में मां-बेटे की हत्या, डिंडोली में मासूम की बलात्कार के बाद हत्या, दीशित जरीवाला हत्याकांड, नारायण सांई के खिलाफ यौन उत्पीडऩ का मामला। इनमें से कुछ मामलों में पुलिस के पास आरोपियों के पते-ठिकाने तो दूर, नाम तक नहीं थे। फिर भी सूरत पुलिस ने लगभग सभी मामलों की गुत्थी सुलझा कर न सिर्फ आरोपियों को ढूंढ निकाला, बल्कि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भी पहुंचाया।
जब बात अपने साथी रहे आरोपियों को पकडऩे की आती है तो पुलिस की इस प्रतिभा पर ग्रहण छा जाता है। सरथाणा में एक गैरेज संचालक से साढ़े तीस लाख रुपए की रिश्वत लेकर मामला रफा-दफा करने के आरोप में थाना प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मी अब तक फरार है। इस घटना को दो महीने से भी अधिक समय बीत चुका है। सूरत पुलिस या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो उनमें से एक का भी पता नहीं लगा पाई है।
ताजा मामला खटोदरा थाने का है, जहां थाना प्रभारी समेत आठ पुलिसकर्मियों ने चोरी के मामले में संदिग्ध को बेरहमी से इतना पीटा कि उसका दम निकल गया। जब मामले का खुलासा हुआ तो संदिग्ध हालत में अपने साथी पुलिसकर्मियों पर हमला कर आरोपी पुलिसकर्मी थाने से भाग निकले। आश्चर्यजनक रूप से वह रातों-रात शहर से बाहर भी निकल गए। अत्याधुनिक कमांड एण्ड कंट्रोल रूम से लैस शहर पुलिस की चार हजार जवानों की फोर्स उनके मोबाइल नम्बर समेत तमाम तरह की जानकारियां होने के बावजूद उन्हें नहीं रोक पाई।

दो महीने से फरार हैं सरथाणा रिश्वत प्रकरण के आरोपी पुलिसकर्मी


पिछली ४ अप्रेल को सरथाणा के तत्कालीन थाना प्रभारी एन.डी.चौधरी, पुलिस उप निरीक्षक एच.एम.गोहिल, कांस्टेबल गोपाल डाह्या और भगु राधव द्वारा एक ऑटो गैरेज संचालक से साढ़े तीस साल रुपए की रिश्वत लेने का मामला सामने आया था। वालक पाटिया के स्टार ऑटो गैरेज का संचालक इरशाद निजी बस संचालकों के साथ मिल कर लाखों रुपए के टैक्स की चोरी का रैकेट चलाता था। वह अपने गैरेज में बसों के इंजन और चैसिस नम्बर बदल देता था, ताकि एक ही पासिंग पर दो-तीन बसें चलाई जा सकें।
इस मामले की भनक लगने पर चौधरी और उनके साथियों ने ८ मार्च को गैरेज पर छापा मारा और एक बस जब्त कर इरशाद तथा उसके साथी असलम को अवैध रूप से हिरासत में ले लिया। उससे मामले को रफा-दफा करने के एवज में एक करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी गई। साढ़े तीस लाख रुपए में बात बनने पर उन्होंने दोनों को रिहा कर दिया था और ९ से २४ मार्च के दौरान किस्तों में रुपए वसूल लिए थे। इस मामले की भनक आलाधिकारियों को लगने पर उनके खिलाफ जांच शुरू की गई। ४ अप्रेल को चारों को निलंबित कर उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया। उसी दिन चारों रहस्यमय हालत में फरार हो गए। इस मामलेे की जांच शुरू में सहायक पुलिस आयुक्त (बी डिवीजन) ए.एम.परमार को सौंपी गई थी। कुछ समय बाद जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंप दी गई।
 

साथियों के प्रति सॉफ्ट कार्नर


जानकारों के मुताबिक पुलिसकर्मी जांच के सभी तौर-तरीकों से अच्छी तरह वाकिफ होते हंै। इसलिए अगर वह भाग निकलें तो उन तक पहुंचना आसान नहीं होता। महकमे में उनके प्रति सॉफ्ट कार्नर रखने वाले सूत्र भी हो सकते हैं, जो उन्हें लगातार उनके खिलाफ चल रही जांच की खबरें मुहैया करवाते हैं। इस वजह से वह उनके खिलाफ जांच में जुटी टीम से दो कदम आगे रहते हैं। आम आरोपियों तक पहुंचने के लिए पुलिस उनके परिजनों पर दबाव डालने, बैंक खाते फ्रीज करवाने, संपत्ति की कुर्की समेत कई तरह के हथकंडे अपनाती है, लेकिन जब बात अपने साथियों की आती है तो ऐसे हथकंडे नहीं अपनाए जाते।
सरथाणा रिश्वत प्रकरण में चार पुलिसकर्मी दो महीने से फरार हैं। तीस लाख रुपए की रिश्वत लेने का मामला होने के बावजूद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मौन है। जब उनकी संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला कि जांच चल रही है। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में पुलिस महकमे के कर्मचारियों को ही स्थानांतरण पर नियुक्ति दी जाती है।

वर्जन++
सरथाणा रिश्वत प्रकरण में फरार चल रहे चार आरोपी पुलिसकर्मी पकड़े नहीं गए हैं। उनके बैंक खातों, संपत्ति आदि की जांच जारी है।
नीरव सिंह गोहिल, क्षेत्रीय निदेशक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सूरत

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