-मानसून पूर्व कर चुके हैं यह कार्य क्षेत्रीय पार्षदों के सुझाव से सूरत महानगरपालिका ने खाड़ी बाढ़ की समस्या को दूर करने के लिए मानसून पूर्व कई आवश्यक कार्य भी किए हैं। इसमें माधवबाग लो लेवल ब्रिज की जगह नए ब्रिज का निर्माणकार्य, सुमनसंगीत सोसायटी के सामने नए पंपिंग स्टेशन का निर्माण, परवत गांव के पंपिंग स्टेशन की क्षमता बढ़ाई, सूरत-बारडोली रोड पर बरसाती पानी की स्ट्रोमलाइन का निर्माण, खाड़ी किनारे मजबूत दीवार का निर्माण, बरसाती पानी की निकासी के लिए तीन जगह पर डी-वॉटरिंग सिस्टम आदि शामिल है।
-किए गए हैं कई प्रयास खाड़ी बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए महानगरपालिका स्तर पर कई तरह के प्रयास किए गए हैं और जारी है। अधिक बरसात होने से यह दिक्कत आ रही है। खाड़ी ओवरफ्लो है जिससे आसपास के क्षेत्र में पानी जमा है।
दिनेश राजपुरोहित, क्षेत्रीय पार्षद व स्लम इम्प्रूवमेंट कमेटी चेयरमैन
दिनेश राजपुरोहित, क्षेत्रीय पार्षद व स्लम इम्प्रूवमेंट कमेटी चेयरमैन
-ठोस योजना की जरूरत महानगरपालिका प्रशासन हर साल की इस समस्या से निपटने के लिए ठोस योजना बनाएं ताकि हजारों लोग खाड़ी बाढ़ की मुश्किलों से बच सकें। खाड़ी का बरसाती पानी तापी नदी में डायवर्ट कर समस्या पर लगाम लगाई जा सकती है।
महेंद्र राजपुरोहित, कोषाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी, सूरत महानगर इकाई
महेंद्र राजपुरोहित, कोषाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी, सूरत महानगर इकाई
-खाड़ी किनारे बनाए पंपिंग स्टेशन परवत गांव के समान ही अधिक क्षमता के पंपिंग स्टेशन महानगरपालिका प्रशासन खाड़ी किनारे सणिया-हेमाद, नेचरवैली, ऋषिविहार, कमरूनगर आदि स्थलों पर बनाए। इसके अलावा खाड़ी की ड्रेजिंग प्रत्येक वर्ष अनिवार्य रूप से की जाए।
असलम साइकिलवाला, पूर्व पार्षद
असलम साइकिलवाला, पूर्व पार्षद
-ब्यूटीफिकेशन और इमारतों से बढ़ गई मुश्किलें खाड़ी बाढ़ की सालाना समस्या के बारे में विपक्ष कांग्रेस व आम आदमी पार्टी का आरोप है कि खाड़ी किनारे ब्यूटीफिकेशन के नाम पर किनारे बांध दिए और उस पर बड़ी-बड़ी व्यावसायिक इमारतें खड़ी हो गई। इससे बरसाती पानी का प्राकृतिक बहाव प्रभावित हो गया। एक समय था जब शहर में 12-15 ईंच बारिश में भी ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती थी और अब 5-6 ईंच बारिश में ही यह हालात हैं।
-यह भी करके देख लें तापी शुद्धिकरण अभियान के तहत वालक पाटिया से एक खाड़ी का पानी दूसरी खाड़ी में डायवर्ट कर खाड़ी के किनारों को बांधने से प्राकृतिक खाड़ी की अवस्था काफी घटी है। इसके अलावा कोरोना काल से ही खाड़ी की ड्रेजिंग भी व्यवस्थित तरीके से नहीं की गई है। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक मानसून में बरसाती पानी खाड़ी के बजाय तापी में डायवर्ट कर दिया जाए तो समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है। इस प्रक्रिया की देखभाल भी अवश्य रूप से की जाए।