सूरत

Surat/ खाखी वर्दी में हुए मानवता के दर्शन: ब्रिज के डिवाइडर पर नग्न बैठी वृद्घा को देख ट्रैफिक पीआई का दिल पसीजा, शॉल ओढ़ाई, खाना खिलाकर आश्रम भेजा

रिंगरोड से गुजरते वक्त पीआई एच.वी.गोटी की बेबस वृद्घा पर पड़ी थी नजर

सूरतAug 09, 2022 / 08:21 pm

Sandip Kumar N Pateel

Surat/ खाखी वर्दी में हुए मानवता के दर्शन: ब्रिज के डिवाइडर पर नग्न बैठी वृद्घा को देख ट्रैफिक पीआई का दिल पसीजा, शॉल ओढ़ाई, खाना खिलाकर आश्रम भेजा

सूरत. खाखी वर्दी पहनी पुलिस यूं तो सख्त नजर आती हैं, लेकिन वर्दी पहनने वाले व्यक्ति में भी मानवता छिपी होती है। एक बार फिर सूरत शहर पुलिस के एक अधिकारी ने मानवता की मिसाल पेश की है। ड्यूटी के दौरान डिवाइड पर एक वृद्घा को बेबस और नग्न अवस्था में देख इस अधिकारी का दिल पसीज गया। उन्होंने काफीला रोककर इस महिला को शॉल ओढ़ाई और उसे सुरक्षित जगह भेजने का इंतजाम भी किया।

मानवता की मिसाल पेश करने वाले इस अधिकारी का नाम है एच.वी.गोटी। वे शहर पुलिस के ट्रैफिक विभाग में पुलिस निरीक्षक हैं। मंगलवार सुबह वह अपनी जीप में रिंगरोड पर राउंड लगाने निकले थे, तभी रिंगरोड फ्लाइओवर ब्रिज के डिवाइडर पर बैठी एक वृद्घा पर उनकी नजर पड़ी। वृद्घा निवस्त्र थी। उन्होंने अपनी जीप कुछ दूर रोक दी और महिला ट्रैफिक ब्रिगेड़ को बुलाया।उसके बाद उन्होंने एक शॉल खरीदकर महिला ट्रैफिक ब्रिगेड़ को देकर वृद्घा को ओढ़ाई। उसके बाद उन्होंने वृद्घा को खाना खिलाया और पानी भी पिलाया। बाद में मानव मंदिर आश्रम के संचालकों से संपर्क कर वृद्घा को आश्रम भेज दिया। पीआई गोटी के इस रूप को देखकर लोगों ने उनकी सराहना की।
घरेलू हिंसा से पीडि़त विवाहिता को प्रतिमाह सात हजार रुपए भरष-पोषण के तौर पर चुकाने का पति को आदेश


सूरत. घरेलू हिंसा के एक मामले में कोर्ट ने पीडि़ता की याचिका मंजूर करते हुए कोर्ट ने विवाहिता और उसकी पुत्री के लिए प्रतिमाह सात हजार रुपए भरण-पोषण के तौर पर चुकाने का पति को आदेश दिया।

प्रकरण के अनुसार वेसू निवासी गीता गणेशवाला की शादी वर्ष 2012 में रांदेर क्षेत्र निवासी विशेष गणेशवाला के साथ हुई थी। उन्हें एक पुत्री है। शादी के बाद से ही गीता को पति समेत सुसराल पक्ष के लोग प्रताडि़त कर रहे थे। प्रताडऩा से त्रस्त होकर वर्ष 2017 में गीता बेटी को लेकर पीहर चली आई है। उसके बाद उसने पति और सास-ससुर के खिलाफ अधिवक्ता प्रीति जोशी के जरिए कोर्ट में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत याचिका दायर की थी। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने विवाहिता की याचिका मंजूर कर ली और विवाहिता के साथ किसी तरह की घरेलू हिंसा नहीं की जाए और मां-बेटी के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह सात हजार रुपए चुकाने का पति को आदेश दिया।

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