सुरक्षित एयर फनल एरिया जरूरी
रनवे पर उतारने के दौरान पाइलट कमांड के अनुसार प्लेन को जमीन के पास लाता है और गति कम कर लैंडिंग करता है। लैंडिंग के समय आसमान से रनवे के बीच के परिक्षेत्र को एयर फनल एरिया कहा जाता है। सूरत शहर की ओर से एयर फनल एरिया में 48 से अधिक हाइराइज बिल्डिंग हैं, जो प्लेन की लैंडिंग में बाधा साबित हो रही हैं। इस तरफ से बड़े प्लेन की एयरपोर्ट पर लैंडिंग खतरनाक हो सकती है। टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए कई नियमों का पालन करना पड़ता है। हवा की दिशा और उसकी गति को ध्यान में रख कर टेक ऑफ और लैंडिंग की जाती है। हवा की दिशा और गति के नजरिए से सूरत एयरपोर्ट पर टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए डूमस समुद्र किनारे के छोर की बजाए शहर की तरफ का क्षेत्र ज्यादा अनुकूल है, लेकिन तभी, जब एयर फनल एरिया में बाधक हाइराइज बिल्ंिडगों को दूर किया जाए। सूरत शहर की ओर से जब प्लेन लैंडिंग करता है तो उसे शुरुआती 615 मीटर का रनवे छोड़ देना पड़ता है। लैंङ्क्षडग के दौरान नीचे की किसी बाधा को जानने के लिए आधुनिक विमानों में प्रोक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम है, लेकिन कई पुराने विमानों में यह सिस्टम नहीं है। ऐसे विमानों के लिए एयर फनल एरिया के अवरोधक खतरा साबित हो सकते हैं।
एयर फनल एरिया में निर्माण को लेकर डिरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन विभाग (डीजीसीए) ने कई नियम बना रखे हैं। इन नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी एयरपोर्ट ऑथोरिटी की है। 2006 में सूरत एयरपोर्ट के एयर फनल एरिया का सर्वे किया गया था। इसके बाद कई बाधक पेड़ों को हटाया गया था। तब की सर्वे रिपोर्ट में किसी बिल्डिंग के निर्माण का उल्लेख नहीं था। यानी उस समय तक किसी बहुमंजिला बिल्डिंग का निर्माण नहीं हुआ था। नियम के अनुसार दो साल बाद ऑपस्ट्रंक्शन सर्वे अनिवार्य है, लेकिन 2006 से 2017 तक अधिकारियों ने सर्वे ही नहीं किया। इसी दौरान एयर फनल एरिया में 48 हाइराइज बिल्डिंग खड़ी हो गईं। बाद में जो सर्वे किया गया, उसमें चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। सर्वे के मुताबिक एयर फनल एरिया में 48 से अधिक हाइराइज बिल्डिंग एयरपोर्ट के लिए खतरा साबित हो रही हैं। सर्वे के बाद विवाद शुरू हुआ तो डीजीसीए और मनपा ने नासिक की एक एजेंसी से एयर फनल एरिया का सर्वे करवाया था। यह सर्वे जनवरी और जून 2018 में किया गया। इसकी रिपोर्ट में भी कहा गया कि एयर फनल एरिया में 48 हाइराइज बिल्डिंग प्लेन की लैंडिंग के लिए खतरा हैं। एक बिल्डिंग तो रनवे से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी है। एयरपोर्ट क्षेत्र में निर्माण के लिए एयरपोर्ट ऑथोरिटी का एनओसी अनिवार्य है। बाद में महानगर पालिका की ओर से जगह की जांच कर बिल्डिंग यूज सर्टिफिकेट (बीयूसी) दिया जाता है। इन नियमों के पालन में बरती गई लापरवाही ने ही समस्या खड़ी की है।