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SURAT AIRPORT : सूरत की हाइराइज इमारतें विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए खतरनाक

SURAT AIRPORT :
– रनवे पर विमान फिसलने के बाद सूरत हवाई अड्डे की सुरक्षा फिर सवालों के घेरे में- एयर फनल एरिया की हाइराइज इमारतें विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए खतरनाक- अवरोधकों को लेकर अप्रेल में हाइ कोर्ट ने दिया था नागरिक विमानन, एयरपोर्ट ऑथोरिटी और सूरत मनपा को नोटिस

सूरतJul 02, 2019 / 08:51 pm

Divyesh Kumar Sondarva

SURAT

SURAT AIRPORT : सूरत की हाइराइज इमारतें विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए खतरनाक

सूरत.

सूरत एयरपोर्ट पर रविवार रात भोपाल से सूरत पहुंची स्पाइस जेट की फ्लाइट के रनवे पर फिसलने की घटना के बाद एयरपोर्ट के आस-पास की हाइराइज बिल्डिगों को लेकर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। एयरपोर्ट का एयर फनल क्षेत्र विमान के टेक ऑफ और लैंङ्क्षडग के लिए सुरक्षित नहीं है। इस क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों के कारण रनवे पर लैंडिंग के लिए विमान को कम मीटर का फासला मिल रहा है। इससे बड़े प्लेन की लैंडिंग खतरे से खाली नहीं है।
सूरत एयरपोर्ट पर रनवे की लंबाई 2905 मीटर है। यहां दोनों तरफ से विमान के लिए टेक ऑफ और लैंडिंग की सुविधा है, लेकिन सूरत शहर की ओर से लैंडिंग करते समय विमान को सिर्फ 2290 मीटर का रनवे उपयोग करने की छूट है, जबकि डूमस समुद्र किनारे की ओर से लैंडिंग के लिए पूरे रनवे का उपयोग किया जा सकता है। एक ही रनवे पर दो तरफ से लैंडिंग के लिए इतना अंतर सूरत एयरपोर्ट के लिए सिरदर्द बना हुआ है। एयरपोर्ट के आस-पास की हाइराइज इमारतें लम्बे समय से विवादों के घेरे में हैं और इनको लेकर मामला गुजरात हाइकोर्ट तक पहुंच गया है। इसी साल अप्रेल में एक जनहित याचिका को लेकर हाइकोर्ट ने नागरिक विमानन महानिदेशक, एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन और सूरत मनपा आयुक्त को नोटिस जारी किया था। याचिका में विमानों, यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा के लिए सूरत एयरपोर्ट के आस-पास के अवरोधक (हाइराइज बिल्डिंग आदि) हटाए जाने की गुहार लगाई गई थी। याचिका में बताया गया कि नब्बे के दशक में जब राज्य सरकार ने सूरत एयरपोर्ट की शुरुआत की थी, तब इसका रनवे 1,400 मीटर लम्बा था। वर्ष 2003 में इसे एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को सौंप दिया गया और 2007 में रनवे की लम्बाई 2,250 मीटर की गई, ताकि यहां बड़े विमान आ-जा सकें। बाद में इसे और बढ़ा कर 2,905 मीटर कर दिया गया। अहमदाबाद के बाद सूरत एयरपोर्ट गुजरात का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। याचिका में कहा गया कि हवाई अड्डे का एयर फील्ड विस्तृत और खुला हुआ होना चाहिए, ताकि आकाश से यह स्पष्ट दिखाई दे। यह तभी संभव है, जब एयरपोर्ट के आस-पास किसी तरह के अवरोधक नहीं हों, लेकिन सूरत एयरपोर्ट के आस-पास ऐसे करीब 90 अवरोधक हैं, जिनमें 40 से ज्यादा बहुमंजिला इमारतें शामिल हैं। एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और सूरत मनपा के संयुक्त सर्वे में इन अवरोधकों की पहचान की गई थी और 2018 में इन्हें हटाने के लिए नोटिस भी दिया गया था, लेकिन इसके आगे कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

सुरक्षित एयर फनल एरिया जरूरी
रनवे पर उतारने के दौरान पाइलट कमांड के अनुसार प्लेन को जमीन के पास लाता है और गति कम कर लैंडिंग करता है। लैंडिंग के समय आसमान से रनवे के बीच के परिक्षेत्र को एयर फनल एरिया कहा जाता है। सूरत शहर की ओर से एयर फनल एरिया में 48 से अधिक हाइराइज बिल्डिंग हैं, जो प्लेन की लैंडिंग में बाधा साबित हो रही हैं। इस तरफ से बड़े प्लेन की एयरपोर्ट पर लैंडिंग खतरनाक हो सकती है। टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए कई नियमों का पालन करना पड़ता है। हवा की दिशा और उसकी गति को ध्यान में रख कर टेक ऑफ और लैंडिंग की जाती है। हवा की दिशा और गति के नजरिए से सूरत एयरपोर्ट पर टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए डूमस समुद्र किनारे के छोर की बजाए शहर की तरफ का क्षेत्र ज्यादा अनुकूल है, लेकिन तभी, जब एयर फनल एरिया में बाधक हाइराइज बिल्ंिडगों को दूर किया जाए। सूरत शहर की ओर से जब प्लेन लैंडिंग करता है तो उसे शुरुआती 615 मीटर का रनवे छोड़ देना पड़ता है। लैंङ्क्षडग के दौरान नीचे की किसी बाधा को जानने के लिए आधुनिक विमानों में प्रोक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम है, लेकिन कई पुराने विमानों में यह सिस्टम नहीं है। ऐसे विमानों के लिए एयर फनल एरिया के अवरोधक खतरा साबित हो सकते हैं।
नियमों के पालन में लापरवाही
एयर फनल एरिया में निर्माण को लेकर डिरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन विभाग (डीजीसीए) ने कई नियम बना रखे हैं। इन नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी एयरपोर्ट ऑथोरिटी की है। 2006 में सूरत एयरपोर्ट के एयर फनल एरिया का सर्वे किया गया था। इसके बाद कई बाधक पेड़ों को हटाया गया था। तब की सर्वे रिपोर्ट में किसी बिल्डिंग के निर्माण का उल्लेख नहीं था। यानी उस समय तक किसी बहुमंजिला बिल्डिंग का निर्माण नहीं हुआ था। नियम के अनुसार दो साल बाद ऑपस्ट्रंक्शन सर्वे अनिवार्य है, लेकिन 2006 से 2017 तक अधिकारियों ने सर्वे ही नहीं किया। इसी दौरान एयर फनल एरिया में 48 हाइराइज बिल्डिंग खड़ी हो गईं। बाद में जो सर्वे किया गया, उसमें चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। सर्वे के मुताबिक एयर फनल एरिया में 48 से अधिक हाइराइज बिल्डिंग एयरपोर्ट के लिए खतरा साबित हो रही हैं। सर्वे के बाद विवाद शुरू हुआ तो डीजीसीए और मनपा ने नासिक की एक एजेंसी से एयर फनल एरिया का सर्वे करवाया था। यह सर्वे जनवरी और जून 2018 में किया गया। इसकी रिपोर्ट में भी कहा गया कि एयर फनल एरिया में 48 हाइराइज बिल्डिंग प्लेन की लैंडिंग के लिए खतरा हैं। एक बिल्डिंग तो रनवे से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी है। एयरपोर्ट क्षेत्र में निर्माण के लिए एयरपोर्ट ऑथोरिटी का एनओसी अनिवार्य है। बाद में महानगर पालिका की ओर से जगह की जांच कर बिल्डिंग यूज सर्टिफिकेट (बीयूसी) दिया जाता है। इन नियमों के पालन में बरती गई लापरवाही ने ही समस्या खड़ी की है।

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