पुलिस ने ई-कॉप प्रोजेक्ट के तहत पुलिसकर्मियों के डेली रुटीन मैपिंग की व्यवस्था की है, जिसमें टेक्नोलॉजी का उपयोग कर पेट्रोलिंग, ट्रैफिक पुलिस की हाजरी, ड्यूटी वितरण, बीट बुक आदि के लिए रीयल टाइम ट्रैकिंग पर जोर दिया गया। आई-फॉलो कैम्पेन में रोड एक्सीडेंट रोकने के लिए सडक़ों के डिजाइन में सुधार पर काम किया।
साथ ही सडक़ों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। सबसे महत्वपूर्ण नागरिकों में ट्रैफिक नियमों के प्रति आत्म अनुशासन पैदा करने का प्रयास किया। साइबर संजीवनी प्रोजेक्ट के तहत साइबर क्राइम की बढ़ती दर को कम करने के लिए जागरुकता पर जोर दिया गया। इसके लिए ऑनलाइन सेफ्टी व वैलनेस प्रोग्राम बनाया गया। विभिन्न प्रतियोगिताओं के जरिए लोगों को साइबर अपराधों की जानकारी दी गई।
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कनाड़ा का वीजा हासिल करने के चक्कर में डेढ़ लाख व पासपोर्ट गंवाया
– सोशल मीडिया से संपर्क में आए ठग के खिलाफ मामला दर्ज सूरत. सोशल मीडिया पर कनाड़ा का हासिल करने के चक्कर में योगीचौक इलाके के एक युवक ने अपना पासपोर्ट पर डेढ़ लाख रुपए गंवा दिए। पुलिस के मुताबिक ठगी की घटना सरथाणा योगीचौक शिवधारा हाइट्स निवासी चंद्रेश पुत्र नानजी सावलिया के साथ हुई। योगीचौक में इलाके में पैकेजिंग का कारोबार करने वाले चंद्रेश को कनाड़ा जाना था।
इस बीच उन्होंने इंस्टाग्राम पर कनाड़ा के वीजा का विज्ञापन देखा। उसमें कंपनी के एमडी के रूप में हर्ष चौहाण का नाम दर्ज था और संपर्क के लिए दो नम्बर दिए हुए थे। उनमें से एक नम्बर पर उन्होंने वॉट्सएप कॉल कर संपर्क किया। बातचीत करने वाले बताया कि वह बीस दिनों में उन्हें वीजा दिलवा देगा। इसके लिए कुल 15 लाख रुपए का खर्च बताया।
मूल पासपोर्ट के साथ आधारकार्ड, पेनकार्ड समेत बॉयोडाटा की कॉपियां भेजने के लिए कहा। रुपए गूगल पे से जमाल अहमद के अकाउन्ट में जमा करवाने की बात कही। उन्होंने अपने दस्तावेज भेज दिए और टुकड़ों में डेढ़ लाख रुपए भी जमाल अहमद के खाते में जमा कर दिए। कुछ दिनों बाद उन्हें ईमेल से कनाड़ा का वीजा मिला।
उन्होंने वैरीफाई करने के लिए वीजा कनाड़ा में रहने वाली अपनी मौसेरी बहन को भेजा। वहां पूछताछ करने पर पता चला कि वीजा एप्रूव नहीं है। चंद्रेश ने इस बारे में बात की। अपने रुपए व ऑरीजनल पासपोर्ट वापस मांगा, लेकिन न तो रुपए लौटाए और न ही पासपोर्ट। इस पर चंद्रेश ने सरथाणा पुलिस से संपर्क कर प्राथमिकी दर्ज करवाई।
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