यहां तक कि झारखंड के वासेपुर में स्थानीय पुलिस भी छापेमारी करने नहीं गयी लेकिन सूरत की पुलिस यहां भेष बदलकर आरोपियों को उनके गढ़ से उठाकर ले आयी। उन्होंने आरोपी को पकड़ने के लिए यहां सात दिनों तक रिक्शा किराए पर लिया और लगातार नजर रखी। एक शाम जैसे ही आरोपी टहलने के लिए घर से निकला, पुलिस ने उसे चुपके से उठा लिया और सीधे सूरत ले आई।
आरोपी का विवरण
आरोपी मोहम्मद उमर अंसारी (43) बिहार के भीखनपुर गांव का मूल निवासी है। वह 2003 में शहर के लिम्बायत इलाके में रहता था। उस दौरान उसने अपने मित्र मेहराज अली के साथ मिल कर दयाशंकर गुप्ता नाम के युवक की हत्या कर दी थी। मेहराज का दयाशंकर के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। जिसकी रंजिश रख दोनों ने उसकी हत्या की साजिश रची।
आरोपी ने हत्या कर शव को जला दिया
पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सूरत ले आई और पूछताछ की। पता चला कि साल 2003 में उधना के अमृतनगर में रहने वाले दयाशंकर शिवचरण गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। वे उसे शराब पिलाने के लिए ले गए और उसकी गर्दन, माथे और हाथों को गंभीर रूप से घायल कर उसकी हत्या कर दी। बाद में मृतक की पहचान न हो इसके लिए उन्होंने मृतक के चेहरे को कपड़े से ढककर आग लगा दी और कमरे को बाहर से बंद कर आरोपी अपने पैतृक स्थान भाग गए। इस मामले में पुलिस ने मेहराज को इससे पहले 2021 में ही गिरफ्तार कर लिया था।
कैसे पकड़ा गया हत्यारा
सूरत की पीसीबी पुलिस आखिरकार 21 साल पुराने हत्या के आरोपी को पकड़ने में कामयाब हो गई। सूरत के उधना इलाके में हत्या करने के बाद आरोपी उमर अंसारी फरार हो गया। पुलिस ने उसे पकड़ने की कई कोशिशें कीं, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। पीसीबी पुलिस ने आरोपी को झारखंड के धनबाद जिले के वासेपुर से गिरफ्तार कर लिया।
सूरत पुलिस आयुक्त द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन के तहत डीसीबी और पीसीबी सहित पुलिसकर्मियों की एक टीम 21 साल से फरार उमर अंसारी को पकड़ने के लिए काम कर रही थी। जिसमें सूरत पीसीबी पुलिस के हेड कांस्टेबल अशोक लूनी और उनकी टीम इस आरोपी को पकड़ने के लिए पिछले 3 से 4 महीने से मेहनत कर रही थी। जिसके आधार पर पीसीबी राजेश सुवेरा ने इस सूचना पर काम किया और आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए अशोक लूनी के साथ 4 पुलिसकर्मियों की एक टीम वासेपुर भेजी।
जान जोखिम में डालकर पकड़ा आरोपी
झारखंड के वासेपुर में दो असली डॉन पर गैंग ऑफ वासेपुर नाम से दो फिल्में बन चुकी हैं। आरोपी भी पिछले 19 सालों से इसी गांव में रहता था। सूरत पुलिस को वहां से वापस जाने का सुझाव दिया गया। हालांकि, अशोक लूनी और उनकी टीम ने स्थानीय पुलिस के इस निर्देश को नजरअंदाज किया और अपनी जान जोखिम में डालकर आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए वहीं रुक गए।
अतिसंवेदनशील इलाके से उसे गिरफ्तार कर सूरत लाया गया। प्राथमिक पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
घूमने जाते वक्त उठाया आरोपी को
पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए भेष बदला। जिसके लिए पुलिस खुद एक स्थानीय रिक्शा चालक बन गई और रिक्शे किराये पर लेकर पुलिस दो शिफ्टों में उनके घर के आसपास रिक्शे घूमाती थी। पुलिस एक सप्ताह से इस इलाके में रोज सुबह-शाम रिक्शा से राउंड लगा रही थी। इस बीच, एक शाम जब वह टहलने के लिए घर से बाहर था, तो उसने उसे पकड़ लिया और सूरत लाया गया।