सूरत

COVID-19 पुराने ढर्रे पर लौटेगा जीवन, बदल जाएगा रहन-सहन का तरीका

सूरत में भी देखने को मिलेगा असर, खड़ी होंगी कोविड १९ को मात देती इमारतें

सूरतJul 09, 2020 / 08:20 pm

विनीत शर्मा

COVID-19 पुराने ढर्रे पर लौटेगा जीवन, बदल जाएगा रहन-सहन का तरीका

विनीत शर्मा
सूरत. दुनियाभर में मौत बांटने के साथ ही कोविड १९ भविष्य की एक अलग तरह की तस्वीर भी सामने रख रहा है। लोगों की जीवनशैली में खासा बदलाव देखने को मिल सकता है। जिंदगी बचाने के लिए जीवनशैली नए बदलाव के साथ पुराने ढर्रे पर लौटती दिखेगी। इमारतों के निर्माण में बड़ा बदलाव आना तय है, जिसमें कोविड 19 की झलक साफ दिखेगी। एंट्री प्वाइंट पर ही व्यक्ति खुद को डिसइन्फेक्ट करने की कोशिश करेगा। इससे आवासों की कीमतों में भी खासा इजाफा होना तय है। साफ है कि जिसके पास जितनी शक्कर होगी, उसकी चाय भी उतनी ही ज्यादा मीठी होगी।
बीते करीब 50 दिनों से देशभर में लॉकडाउन की स्थिति है। इस लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था पर तो फर्क डाला ही, लोगों के सोचने के तरीके को भी बदल कर रख दिया है। लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाओं से जुड़े लोग घरों में घुसते ही पहले खुद को डिसइन्फेक्ट करने के जतन करते हैं। जिस तरह से दुनियाभर के विशेषज्ञ कोरोना के असर को आगामी पांच से दस साल तक के लंबे सिनेरियो के हिसाब से देख रहे हैं, उसमें साफ है कि लोगों के रहन-सहन में बड़ा बदलाव आने वाला है।
इसका पहला असर लोगों के आशियाने पर देखने को मिलेगा। कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री से जुड़े लोग ही नहीं आर्किटेक्ट्स ने भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। फिलहाल भले यह दूर की कौड़ी सही, लेकिन शहर के कई आर्किटेक्ट्स और कंस्ट्रक्शन कंपनियां इस दिशा में सोचने लगी हैं। उन्हें लगता है कि आगामी दिनों में इस तरह की व्यवस्था कम या ज्यादा सहूलियतों के साथ फ्लैट्स मेंं देनी ही होगी।

घर में प्रवेश से पहले आउटहाउस

आर्किटेक्ट्स के मुताबिक बंगला हो या फिर फ्लैट एक आउटहाउस की व्यवस्था दोनों जगह करनी पड़ सकती है। फ्लैट्स में तो गेट से घुसते ही एक चेंजिंग रूम जैसा कोई कंसेप्ट रखना होगा, जिसमें बाहर से आया व्यक्ति वहीं अपने जूते उतार दे और वॉश बेसिन पर हाथ धोकर और कपड़े बदलकर ही अंदर प्रवेश करे। यदि जगह ज्यादा है तो एक बाथरूम भी बनाया जा सकता है, जिससे कि वह हर बार नहाकर ही बाहर निकले। यह गेट सिर्फ परिवार के सदस्यों के लिए ही होगा। दूसरे गेट से लिविंग रूम और किचन में एंट्री दी जा सकती है, जिससे आने वाले मेहमान और हाउस वर्कर प्रवेश कर सकें। उन्होंने यहां भी एक वाशवेसिन रखने की जरूरत बताई है। पुराने जमाने में लोग बाहर ही हाथ-पैर धोने के बाद घरों में प्रवेश करते थे। उस वक्त जूते-चप्पल भी घर में लाने का चलन नहीं था और बाहर ही उतार दिए जाते थे।

वेबिनार में मिल रहे सुझाव

लॉकडाउन के दौरान वेबिनार पर सेमिनार का चलन बढ़ा है। इन्हीं में से कुछ वेबिनार भविष्य की तस्वीर और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में होने वाले बदलावों पर भी हुई हैं। इस तरह की कुछ वेबिनार दक्षिण गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने आयोजित कीं तो कई वेबिनार विषय विशेषज्ञों ने अपने स्तर पर आयोजित कीं। इन्हीं में इस तरह के बदलाव के सुझाव सामने आए, जिन पर शहर के आर्किटेक्ट्स और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने गंभीरता से विचार विमर्श शुरू किया है।

यह हो सकते हैं बड़े बदलाव

जूतों के लिए बाहर ही जगह बनाई जाए और एंट्री गेट पर ही फुट रेस्ट वाला वॉशबेसिन हो।
नौकरों और मेहमानों के लिए अलग से एंट्री हो, कचरा निस्तारण के लिए भी अलग तरीके की व्यवस्था हो।
यदि चेंजिंग रूम नहीं है तो एंट्री गेट पर ही डोरबैक हो जहां कपड़े उतारे जा सकें।

सरकार को करना होगा बदलाव

नियमों में किसी भी तरह के बदलाव के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर पहल करनी होगी। इस तरह के प्रावधान को अनिवार्य करने के लिए जीडीसीआर में बदलाव करना होगा। उसके बाद ही शहर के नए निर्माण में इस तरह की व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया जा सकता है। कोई बिल्डर या घर मालिक इस तरह की व्यवस्था अपने से करता है तो उसे हम अनुमति दे देंगे।
धर्मेश मिस्त्री, इंचार्ज टाउन डवलपमेंट ऑफिसर, मनपा सूरत

भविष्य में जरूरी हो जाएंगे यह बदलाव

जिस तरह से परिदृश्य बदल रहा है, लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए इस तरह के बदलाव करने ही होंगे। हम लोग भी इस बात को समझ रहे हैं। इस विषय को लेकर हो रही वेबिनार में दूसरे विशेषज्ञ भी इन्हें जरूरी बता रहे हैं। कोविड १९ से प्राथमिक तौर पर एक बार बाहर निकलने के बाद इस पर अमल की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी।
उर्वी मनीष चौकसी, आर्किटेक्ट, सूरत

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