सूरत

भद्रारहित काल में होलिका दहन आज

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 24 मिनट से 2 घंटे 24 मिनट तक रहेगा

सूरतMar 08, 2020 / 10:00 pm

Dinesh Bhardwaj

भद्रारहित काल में होलिका दहन आज

सूरत. फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के भद्रारहित काल में सतरंगे रंगों के पर्व होली के उपलक्ष में सोमवार शाम छह बजकर 24 मिनट से प्रारम्भ हो रहे श्रेष्ठ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाएगा। शास्त्र सम्मत यह मुहूर्त रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इससे पूर्व सुबह में महिलाएं भद्राकाल पूर्ण होने के बाद होलिका माता की विधिविधान से पूजा-अर्चना कर उसका शृंगार करेगी।
शास्त्रोक्त प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के अवसर पर भद्रारहित काल में होलिका दहन करना उचित बताया गया है। इस संबंध में ज्योतिषी घनश्याम भारद्वाज ने बताया कि सोमवार को फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि तडक़े तीन बजे से प्रारम्भ होगी और रात 10 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। वहीं, भद्राकाल सुबह 10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ही होलिका माता की पूजा-अर्चना, शृंगार आदि के आयोजन शहरभर में किए जाएंगे। शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक के शुभ मुहूर्त की अवधि दो घंटे 24 मिनट तक रहेगी और इस दौरान सूरत समेत दक्षिण गुजरात भर में होलिका दहन के आयोजन किए जाएंगे।
रंग और उल्लास के दो दिवसीय त्योहार होली के मौके पर सोमवार शाम से भद्रारहित काल में शहर में जगह-जगह सुख-समृद्धि एवं शांति की कामना के साथ होलिकादहन किया जाएगा। इस दौरान श्रद्धालु महिलाएं होलिका का बडक़ुला समेत अन्य कई पारंपरिक वस्तुओं से शृंगार करेगी। शहर के चौक-चौराहों के अलावा सोसायटी-अपार्टमेंट प्रांगण में रविवार शाम को युवकों व बच्चों ने होलिकादहन के लिए निर्धारित स्थल पर खुदाई व साफ-सफाई कर होलिका का इंतजाम किया और बाद में रात्रि के दौरान उसे बडक़ुलों व अन्य सामग्री से शृंगारित करने का कार्य महिलाओं ने किया।

होलाष्टक समाप्त, शुभ कार्य शुरू


होली के आठ दिन पहले तीन मार्च को होलाष्टक की शुरुआत हुई थी और इस दौरान ज्योतिष मत से शुभ कार्य वर्जित माने जाते है। होलाष्टक की अवधि तिथि के माध्यम से गिनी जाती है। आठ दिवसीय होलाष्टक की शुभ कार्य वर्जित अवधि सोमवार को होलिका दहन के साथ ही पूरी हो जाएगी। सोमवार को होलिका दहन व मंगलवार को होली खेलने के बाद से ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।

होलिका दहन में होंगे कई उपाय


शक्तिपुंज सेवा ट्रस्ट के संस्थापक मुकेश गुरुजी ने बताया कि सोमवार को होलिका दहन के दर्शन से जातकों को शनि-राहू केंद्र के दोष से शांति मिलती है। होलिका की भस्म के तिलक से नजरदोष से मुक्ति मिलती है और होलिका दहन के दौरान सोमवार को ज्यादातर लोग परिवार के साथ श्रीफल की आहुति भी सुख, शांति व समृद्धि की कामना के साथ प्रज्ज्वलित अग्नि में देंगे।

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