शनिवार को शहर के आमली तिरूपति रेजीडेंसी, योगी मिलन में महिलाओं ने समूह में गणगौर की पूजा की एवं परंपरागत गीत गाए। दादरा नगर हवेली के सभी विस्तारों में बड़ी संख्या में राजस्थानी बसे हुए हैं। सिलवासा, आमली के अलावा दादरा, लवाछा, नरोली, मसाट, रखोली और खानवेल में प्रवासी राजस्थानी महिलाओं ने घरों में गणगौर प्रतिमाएं निर्मित करके पूजन आरम्भ कर दिया है। मुख्य रूप से नवविवाहिताएं अपने माता-पिता के घर पर गणगौर पूजन करती हैं।
महिलाओं ने बताया कि सोसायटियों में टोकरी में ईसर-गौर की पूजा कर गणगौर उत्सव मनाया एवं गीत गाए। योगी मिलन, योगी विहार, हिल, तिरूपति रेजींडेंसी में महिलाओं ने गणगौर पूजन के बाद अपने ईष्टदेव को पानी पिलाया और बिन्दौलेे खिलाई। पूजन के साथ महिलाओं ने समूह में गौर ए गणगौर माता, पाटो धोय पाटो धोय, बीरा की बहन पाटो धो, ओडो छे खोड़ो छे घुघराए, अलखल अलखल नदिया बहे छे आदि गीत गाए। गणगौर उत्सव अखंड सुहाग और सुयोग्य वर के लिए मनाया जाता है। सुहागिन स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। व्रत के पीछे मान्यता है कि भगवान शिव व पार्वती ने समस्त स्त्री समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। इसमें मिट्टी के गौरी की स्थापना करके पूजन किया जाता है। व्रत के दौरान होली के बाद शीतला सप्तमी से चैत्र शुक्ल तृतीया तक बड़े लाड-चाव से ईशर गौर को मनाया जाता हैं।