सूरत

e-vehicle : बदलते जमाने के साथ सूरत के विद्यार्थियों ने आविष्कार की अनोखी ई -साइकिल

e-vehicle
– ई -साइकिल की सारी तकनीक कॉलेज में ही तैयारी की गई होने के चलते कॉलेज प्रशासन ने साइकिल बनाने के लिए दिया 45 हजार का फंड- एक सिंगल चार्ज में चलती है 45 किमी, ब्रेक लगने पर अपने आप भी होने लगती है री-चार्ज- अभिभावक कर सकते है अपने बच्चे की स्पीड नियंत्रित, साथ ही बच्चे के लोकेशन पर भी रख सकते है नजर

सूरतMay 11, 2022 / 04:43 pm

Divyesh Kumar Sondarva

e-vehicle : बदलते जमाने के साथ सूरत के विद्यार्थियों ने आविष्कार की अनोखी ई -साइकिल

दिव्येश सोंदरवा.सूरत
बदलते ज़माने के साथ साइकिल के स्वरूप में भी बदलाव होने लगा है। आज तेल के दाम आसमान को छूने लगे है। इन दोनो मुद्दों को ध्यान में रख अठवा लाइंस स्थित स्केट कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग के प्राध्यापक और उनके तीन विद्यार्थियों ने मिलकर अनोखी ई -साइकिल का आविष्कार किया है। जो इन दिनों कॉलेज परिसर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इंजीनियरिंग संकाय की अन्य सभी ब्रांच के प्राध्यापक और विद्यार्थी भी इस ई -साइकिल को देखने के लिए इलेक्ट्रिकल विभाग में आ रहे है।
आज भारत के साथ देश के कई देशों में तेल के दाम दिन प्रतिदिन आसमान को छूते ही जा रहे है। तेल के दामों को कम करना या फिर उस पर अंकुश लगा पाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही बढ़ती वाहनों की संख्या के चलते प्रदूषण की भी मात्रा बढ़ती जा रही है। इसलिए आज दुनिया पेट्रोल और डीजल वाहनों के सामने अन्य विकल्प की तलाश कर रही है। इस तलाश का हाल एक नया विकल्प इलेक्ट्रिकल वाहन सामने आया है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन भी महंगे होने पर लोगो के बजट से दूर है। इसे ध्यान में रख स्केट कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.हितेश मेहता के मार्गदर्शन में अंतिम वर्ष इलेक्ट्रिकल विभाग के विद्यार्थी विकास मितल, जयपाल राजपुरोहित और जयकुंज सिद्धपरिया ने मिलकर ई-साइकिल का आविष्कार किया है। प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने बताया कि गुजरात टेक्नोलॉजिकल के प्रोजेक्ट के अंतर्गत इस ई-साइकिल का आविष्कार किया गया है। जिसे बनाने में 3 माह का समय और 45 हजार का खर्च आया है। ई -साइकिल का बड़े स्तर पर प्रोडक्शन किया जाए तो एक ई -साइकिल की लागत 15 से 18 हजार हो सकती है।
– सारी तकनीक कॉलेज में ही की तैयार:
प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने बताया कि इस ई -साइकिल की सारी तकनीक कॉलेज में ही तैयारी की गई है। इसमें चाइना का अन्य किसी भी देश का कोई उपकरण का उपयोग नहीं किया गया है। पूरी ई – साइकिल मेड इन इंडिया कांसेप्ट पर तैयार की गई है। इस तकनीक को पेटेंट करवाना है इसलिए इसकी तकनीक के विषय पर ज्यादा विस्तृत से जानकारी नहीं दे पाएंगे। तकनीक कॉलेज प्रशासन को बताई गई इसलिए कॉलेज ने इस प्रोजेक्ट के लिए पूरा फंड दिया है।
– एक स्विच में हो जाती है शुरू, आसान है चार्ज करना:
यह ई-साइकिल हाथो में ब्रेक के पास दिए गए एक स्विच से शुरू हो जाती है। इस चार्ज करना भी आसान है। ई -साइकिल को जब ब्रेक लगाई जाती है तो वह रुकने के बाद अपने आप री-जनरेशन मोड पर चली जाती है।
– मोबाइल से स्पीड होती है कंट्रोल:
ई-साइकिल को मोबाइल से जोड़ा गया है। ब्लिंक एप्लीकेशन के माध्यम से इंटरनेट of थिंक्स (आईओटी) के जरिए ई-साइकिल के स्पीड को नियंत्रित किया जा सकता है। इसे एक बार जो स्पीड पर सेट किया जाए उसी स्पीड पर साइकिल चलती है। साथ ही साइकिल कहा है उसका भी लोकेशन पता लगाया जा सकता है। जिससे अभिभावक भी अपने बच्चे की गति और वो कहां है उस जगह को जान सके।
– आग लगने का खतरा नहीं:
प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने बताया कि इन दिनों कई ई-बाइक में आग लग जाने की घटना भी बढ़ने लगी है। ई-साइकिल बनाते समय इस पर खास ध्यान रखा गया है। कम एम्पियर में यह चार्ज हो जाती है। हिस्से बैटरी के ब्लास्ट होने का खतरा नहीं है। इस चार्ज करने में करंट भी कम उपयोग होता है।
– सिंगल चार्ज में 45 किमी का सफर:
ई-साइकिल एक सिंगल चार्ज में कम से कम 40 से 45 किमी का सफर कर सकती है। साथ ही यह चलते समय अपने आप भी चार्ज होती रहती है। ब्रेक लगाने पर भी री-चार्जिंग मोड पर चली जाती है। इसलिए चलाने वाला एक सिंगल चार्ज में अधिक से अधिक किमी साइकिल को चला सकता है।

Hindi News / Surat / e-vehicle : बदलते जमाने के साथ सूरत के विद्यार्थियों ने आविष्कार की अनोखी ई -साइकिल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.