इस संबंध में किसान गोविंद साटे ने बताया कि तूफान ने खेत में उगी सारी फसल चौपट कर दी थी और बारिश के बाद बदले मौसम से सारे पौधे मर गए हैं। केले के पौधे पर फलों के गुच्छे अधपके ही झुलस गए हैं। तूफान से पहले गर्मी व लू से खेती में नुकसान हुआ था। रही सही कसर तूफान ने पूरी कर दी।
अब टमाटर, बैंगन, गोभी, ककड़ी, लौकी, पापड़ी के पौधे दम तोड़ रहे हैं। कच्चे केले दागदार व पीले होकर गिर रहे हैं। क्षेत्र के किसान सब्जियों के अलावा गन्ना व केले की खेती करते हैं। रांधा विस्तार में उपजाऊ दोमट मिट्टी होने से सब्जियों के साथ केला और गन्ने के भी खेत है। जहां नहरें नहीं है, वहां किसान खाड़ी व बोरवेल से फसलों की सिंचाई करते हैं।
अब टमाटर, बैंगन, गोभी, ककड़ी, लौकी, पापड़ी के पौधे दम तोड़ रहे हैं। कच्चे केले दागदार व पीले होकर गिर रहे हैं। क्षेत्र के किसान सब्जियों के अलावा गन्ना व केले की खेती करते हैं। रांधा विस्तार में उपजाऊ दोमट मिट्टी होने से सब्जियों के साथ केला और गन्ने के भी खेत है। जहां नहरें नहीं है, वहां किसान खाड़ी व बोरवेल से फसलों की सिंचाई करते हैं।
सब्जियों से अच्छी आमद होने से सभी ऋतुओं में बुवाई की होती हैं। इस साल कोरोना के चलते सब्जियों के भाव सामान्य थे। किसानों ने बताया कि तूफान के बाद खेती में नुकसान के बारे में प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है।