शौचालयों में पानी की कमी
खानवेल परिक्षेत्र के रूदाना, मांदोनी, सिंदोनी, दूधनी और कौंचा के गांवों में घर-घर शौचालय बने जरूर हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा है। पानी के अभाव में शौचालय उपयोग लायक नहीं रहे। लोग शौैच के लिए जंंगल और खेतों में जाते हैं। सिंदोनी निवासी सुकलीबेन, पार्वती और कांताबेन ने बताया कि भीषण गर्मी में सरकारी नलों में सिर्फ आधा घंटा पानी आता है। यहां के लोग पानी का उपयोग घी की तरह करते हैं। पानी नहीं होने से शौचालयों का महत्व नहीं रहा। जिला पंचायत ने सभी घरों में शौचालय तो बनाए हैं, लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं की। शौचालय के बाहर पानी की टंकी की व्यवस्था नहीं की। लोग कुएं से पानी निकालकर जरूरत पूरी करते हैं। वार्ड सदस्य कौशल करपत ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने शौचालयों में कई त्रुटियां हैं। कम पैसों से शौचालय उत्तम क्वालिटी के नहीं बन पाए। उन्होंने बताया कि गांवों में शौचालय के उपयोग के लिए लोगों को जागृत करना भी जरूरी है।
20 घरों पर चार शौचालय
चिंसदा के सिकलीपाड़ा में 20 से ज्यादा घर हैं, लेकिन सिर्फ चार घरों में शौचालय बने हैं। यहां के वाशिंदों ने शौचालय के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। गांव के लोग शौचालय के लिए जंगल में जाने को मजबूर हैं।
लोग शौचालय का महत्त्व नहीं जानते
स्वच्छ भारत के अंतर्गत सरकार ने अधिकांश गांवों में नि:शुल्क शौचालय बनाकर दिए हैं, लेकिन लोग शौचालय के महत्त्व को नहीं जानते हैं। जिला पंचायत ने प्रति शौचालय के 15 हजार के हिसाब से भुगतान किया है।
रमण काकवा, जिला पंचायत अध्यक्ष सिलवासा
स्वच्छ भारत के अंतर्गत सरकार ने अधिकांश गांवों में नि:शुल्क शौचालय बनाकर दिए हैं, लेकिन लोग शौचालय के महत्त्व को नहीं जानते हैं। जिला पंचायत ने प्रति शौचालय के 15 हजार के हिसाब से भुगतान किया है।
रमण काकवा, जिला पंचायत अध्यक्ष सिलवासा