सूरत

galwan ghati चीन ने बढ़ा दी भारत में अपने एजेंटों की मुश्किल

दरकेगी जमीन- कोरोना के नुकसान की भरपाई के लिए दक्षिण गुजरात में सक्रिय हुए थे चीनी एजेंट, गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ भिड़ंत के बाद अब बाजार में जाना भी हुआ मुश्किल

सूरतJun 18, 2020 / 01:04 pm

विनीत शर्मा

galwan ghati चीन ने बढ़ा दी भारत में अपने एजेंटों की मुश्किल

विनीत शर्मा

सूरत. कोरोना संक्रमण को लेकर वैश्विक स्तर पर हो रही मोर्चेबंदी के बीच गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ हुई भिड़ंत ने कारोबारी हलकों में चीन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कोरोना के नुकसान की भरपाई के लिए दक्षिण गुजरात में जो चीनी एजेंट सक्रिय हुए थे उनके लिए ताजा घटनाक्रम के बाद अब बाजार में जाना भी मुश्किल हो गया है। शहर समेत दक्षिण गुजरात के कारोबारियों में भी चीन के खिलाफ माहौल बन रहा है।

चीन के सस्ते माल की खपत का भारत दुनिया में सबसे बड़ा बाजार है। कोरोना के बाद जिस तरह से दुनियाभर में चीन के खिलाफ माहौल बना, भारत ने अपने लिए संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी थीं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया, जिसे दक्षिण गुजरात के कारोबारियों और आम आदमी ने हाथोंहाथ लिया था। इसके बाद से दक्षिण गुजरात में सक्रिय चीन के कारोबारी एजेंटों ने उद्यमियों के चक्कर काटने शुरू कर दिए थे। उनकी कोशिश यही थी कि आत्मनिर्भर भारत की आंधी में किसी तरह उनकी पैठ बनी रह जाए।
सोमवार रात लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की हरकतों ने सूरत और दक्षिण गुजरात समेत देशभर के लोगों में चीन के खिलाफ माहौल बना दिया है। कारोबारी हलकों में भी चीन की इस हरकत ने अपना असर छोड़ा है। पहले से आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को लेकर सक्रिय उद्यमियों ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। इस कारण चीन के एजेंटों के लिए बाजार में बने रहना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। गलवान घाटी प्रकरण के बाद से बाजार में चीन के एजेंट दिख भी नहीं रहे हैं।

कम हो रही निर्भरता

केमिकल, फार्मा, टैक्सटाइल, प्लास्टिक और डायमंड उद्योग दक्षिण गुजरात की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इनमें टैक्सटाइल प्रोसेसिंग, प्लास्टिक, केमिकल और फार्मा सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले केमिकल और रॉ मटीरियल का बड़ा हिस्सा चीन से आता है। इनमें अधिकांश केमिकल और रॉ मटीरियल अब भारत में भी बनने लगा है। कोरोना के बाद जब बाजार खुले तो चीन के एजेंटों ने उद्यमियों के चक्कर काटने शुरू किए थे।

बदलना पड़ेगा नजरिया

चीन कारोबारी सहयोगी नहीं दुश्मन देश की तरह व्यवहार कर रहा है। हमें भी अपना नजरिया बदलना पड़ेगा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढऩा होगा। चीन के कारोबारी प्रतिस्पर्धी देशों से हम जरूरत का सामान मंगाकर अपनी जरूरत पूरी करेंगे।
गिरीश देसाई, पूर्व प्रमुख, सरीगाम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, वापी

नाराजगी को ऊर्जा में बदलने की जरूरत

लददाख में हुई घटना के बाद आम आदमी के साथ ही कारोबारी लोगों में भी खासी नाराजगी है। इस नाराजगी को ऊर्जा में बदलने की जरूरत है। हम कई मोर्चों पर धीरे-धीरे आत्मनिर्भर हो रहे हैं, इसे और गति मिलेगी।
संजय सरावगी, उद्यमी, सूरत

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