बचाव ही है इलाज
संक्रामक रोगों से बचाव ही पहला इलाज है। यह बात लोगों तक पहुंचाने के लिए कोविड कमांडो टीम को भी स्लम इलाकों में भेजा जा रहा है। इसमें भी इस बात का खास खयाल रखा जा रहा है कि वालंटियर जिस समाज से जुड़े हैं, उन्हें उसी समाज के बीच भेजा जाए। कोरोना योद्धा समिति के वालंटियर लोगों के बीच जाकर बचाव के उपाय ही नहीं बता रहे, लोगों को बार-बार हाथ धोने की सलाह भी दे रहे हैं। मनपा प्रशासन ने वाश बेसिनों की संख्या भी स्लम में बढ़ा दी है। लोगों के बीच जाकर उन्हें बताया जा रहा है कि व्यवहार में बदलाव किए बगैर कोरोना को हरा पाना बेहद मुश्किल है। मौजूदा वक्त में लोगों को अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा।मिनी इंडिया है सूरत
कारोबारी नगरी सूरत देश के रोजगार देने वाले शीर्ष शहरों में शामिल है। देश के कमोबेश हर राज्य के लोग रोजगार के लिए सूरत में रह रहे हैं। इसी वजह से सूरत को मिनी इंडिया भी कहा जाता है। सूरत महानगर पालिका देश की अकेली ऐसा मनपा है, जहां विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों के बच्चों के शिक्षण के लिए उनकी भाषा में प्राथमिक स्कूलों का संचालन हो रहा है।आरोग्य सेतु डाउनलोड करने की अपील
सूरत में अब तक 20 फीसदी से भी कम लोगों ने आरोग्य सेतु एप्लिकेशन डाउनलोड की है। स्लम इलाकों में यह एप्लीकेशन डाउनलोड करने वालों की संख्या लगभग नगण्य है। लोगों के बीच जा रहे वालंटियर उन्हें अपने मोबाइल पर आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने की भी अपील कर रहे हैं। जिन्हें मुश्किल आ रही है, उनके मोबाइल पर एप डाउनलोड कर उसे ऑपरेट करने की ट्रेनिंग भी मौके पर ही दी जा रही है।इसलिए करना होगा बदलाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना से बचाव के लिए साबुन से बार-बार हाथ धोने की सलाह दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि साबुन से बार-बार हाथ धोने से संक्रमण को दूर रखा जा सकता है। साथ ही हाथों को बार-बार चेहरे पर लाने और आंख व नाक से दूर रखने की सलाह भी दी जा रही है। बार-बार हाथ धोने से बचना और हाथ को चेहरे से दूर न रख पाना आम आदमी के व्यवहार का हिस्सा बन गया है। लोगों के बीच जाकर वालंटियर व्यवहार में इसी बदलाव की सीख दे रहे हैं।