शहर के निजी अस्पताल में भर्ती 105 वर्षीय दादी ने नौ दिन में कोरोना को हरा दिया है। परिवार ने डॉक्टर और स्टाफ का आभार व्यक्त किया है। जानकारी के मुताबिक, सचिन निवासी उजीबेन गोंडलिया (105) राजकोट जिले के गोंडल तहसील के सुलतानपुर गांव की निवासी हैं। वे सूरत में पुत्र गोविंद गोंडलिया के साथ रहती हैं। 11 अप्रेल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बुखार, सर्दी और अशक्ति लक्षण उनमें दिखाई दे रहे थे।
गज़ब का आत्मविश्वास अस्पताल में इलाज शुरू होने के तीन दिन बाद से ही उनकी तबीयत में सुधार आने लगा। डॉक्टर जब उनके पास जांच के लिए पहुंचते थे, तब वह उन्हें बोलती थी- बेटा, कोरोना मेरा कुछ नहीं करेगा। मैं जल्दी घर जाउंगी। डॉक्टर भी उनकी रिकवरी देखकर खुश थे। चिकित्सकों ने बताया कि संक्रमण से ज्यादा खतरनाक मरीज का डर होता है। अपने डर से जीतने के बाद कोरोना को हराना आसान हो जाता है। उजीबेन ने ऊंचे मनोबल से नौ दिन में कोरोना वायरस को हरा दिया है। उजीबेन दूसरे विश्व युद्ध, आजादी की लड़ाई जैसी कई एतिहासिक घटनाओं की साक्षी रही है। पुत्र गोविंद ने बताया कि उनके दो मामा 108, 103 और मौसी 101 वर्ष की आयु तक जीवित रहे थे। उजीबेन का 97 वर्ष की उम्र में कुल्हे का ऑपरेशन भी करवा चुकी हैं।
किडनी अस्पताल में 3 बजुर्गों ने भी जंग जीती न्यू सिविल अस्पताल में किडनी बिल्डिंग में कतारगाम निवासी गोरधन पटेल (75) ने 11 दिन में कोरोना को हराया है। उन्हें डायबिटिज थी। उनमें 40 से 50 प्रतिशत संक्रमण था और श्वास में दिक्कत हो रही थी। दूसरे मरीज श्याम हिरानंद ब्रिजवानी (65) को भी 40 प्रतिशत संक्रमण था। नौ दिन ऑक्सीजन पर रहने के बाद उन्होंने भी कोरोना को हरा दिया। मोटा वराछा निवासी निमेश पंचाल (42) भी आठ दिन में कोरोना को जीत कर शनिवार को घर लौट गए।