सूरजपुर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत राजापुर के लकरापारा में ग्रामीणों द्वारा जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पूजा-अर्चना की जा रही थी। शुक्रवार की सुबह गांव का ही 40 वर्षीय मनीलाल राजवाड़े जन्माष्टमी उपवास उपरांत घुनघुट्टा नदी में नहाने गया था।
चमत्कार मानकर शुरु की पूजा-अर्चना
ग्रामीणों द्वारा उक्त पत्थर को एक चमत्कारिक मानते हुए उसकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई है। इस बात की जानकारी लगते ही पत्थर को देखने आसपास गांव के लोगों के भी पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया है। लोग इसे भगवान का एक चमत्कार मान रहे हैं।
इधर नहीं हैं ऐसे पत्थर
ग्रामीणों ने बताया कि राम नाम लिखा जो पत्थर मिला है, वह इस क्षेत्र में नहीं मिलता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह किसी अन्यत्र स्थान से बहकर आया हुआ है।
ज्वालामुखी से निकले होते हैं ऐसे पत्थर
ज्वालामुखी से निकले पत्थर ऐसे होते हैं। इसे प्यूसिम पत्थर के नाम से जाना जाता है। पानी से इसका घनत्व कम होता है, इस कारण ये पानी में तैरता है। इन पत्थरों से छोटे-छोटे छिद्रों के माध्यम से गैस निकल जाते हैं। यह आम पत्थर से अलग होता है। इसके अंदर का हिस्सा स्पंजी या डबल रोटी की भांति होता है। राम सेतु में इन्हीं पत्थरों का प्रयोग हुआ था। इस कारण पत्थर तैरने लगे थे। पानी में पत्थर का तैरना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। जिस वस्तु का घनत्व पानी से कम होता है, वह पानी में तैरने लगता है। सूरजपुर जिले का घुनघुट्टा नदी एरिया ज्वालामुखी प्रभावित क्षेत्र रहा है।
डॉ. अनिल सिन्हा, सहायक प्राध्यापक, भूगोल