सूरजपुर जिले के रामानुजनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सुरता निवासी 9 वर्षीय छात्रा खुशमनी सिंह पिता मनोज सिंह गोंड कक्षा दूसरी की छात्रा थी। छात्रा सूरजपुर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत डेडरी में संचालित आदिवासी कन्या आश्रम में यहां 2 वर्षों से रहकर पढ़ाई करती थी।
8 नवंबर को छात्रा के गाल में सूजन आने पर आश्रम कर्मचारी द्वारा बेलाडोना पट्टी चिपका दिया गया था। इसके बाद छात्रा अपने कक्षा में पढ़ाई करने चली गई थी। कक्षा से शाम को वापस लौटने के बाद देर रात आश्रम की प्यून जशवंती राजवाड़े ने छात्रा के पास जाकर उसका हाल-चाल पूछा था।
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Girl died in hostel: सुबह सोकर नहीं उठी छात्रा तो मचा हडक़ंप
छात्रा 9 नवंबर को सोकर सुबह करीब पौने 6 बजे तक नहीं उठी तो आश्रम के कर्मचारियों द्वारा उसे तत्काल संजीवनी 108 से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिश्रामपुर लाया गया। यहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से उसके गांव में शोक का माहौल बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि आखिर उसके केवल गाल में सूजन आने से कैसे मौत हो गई, यह समझ से परे है। ग्रामीणों द्वारा मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की गई है।
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बीएमओ का अजीब तर्क- सामान्य मौत करार दिया
इस मामले में बीएमओ एवं बिश्रामपुर सीएचसी प्रभारी डॉ. अमित भगत ने बालिका की मौत की वजह सामान्य बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने कहा कि जिस चिकित्सक ने पीएम किया है, उन्होंने सामान्य मौत का मामला बताया है। साथ ही बालिका के गाल पर सूजन भी होने की बात कही है। बीएमओ के इस तर्क पर अब सवाल उठ रहा है कि आखिर सामान्य मौत (Girl died in hostel) भर बता देने से क्या वजह स्पष्ट हो सकी है। मात्र 9 साल की बालिका को कोई गंभीर बीमारी थी, कोई अंग काम नहीं कर रहा था या फिर अन्य वजहें थीं, उसे बताने की बजाय सिर्फ सामान्य बता देना इस सवाल को जन्म दे रहा है कि कहीं कुछ छिपाने की तो कोशिश नहीं हो रही है?