जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बालिका से उसके जन्म तिथि के संबंध में पूछताछ की तो पता चला कि बालिका की जन्म तिथि के अनुसार उम्र 17 वर्ष है कोई दस्तावेज नहीं मिलने पर शादी को रोक दी गई और कोरिया से एक टीम लड़की के गांव भेजी गई। यहां अंकसूची की जांच में भी लड़की की उम्र मात्र 17 वर्ष थी।
इसके बाद दोनों पक्ष के लोगों को समझाइश दी गई, साथ ही पंडित को भी बताया गया कि इस प्रकार का विवाह कराना गैर कानूनी है। पंचनामा तैयार कर लड़की, लड़का एवं उनके परिजनों का कथन भी तैयार किया गया और बालिका को बाल कल्याण समिति सूरजपुर में प्रस्तुत किया गया। बालिका का होमवर्क वेकेशन कोरिया से कराया गया बालिका को सुरक्षित सखी वन स्टॉप सेंटर में रखा गया।
जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाइल्ड लाइन के द्वारा बालिका को कोरिया बाल कल्याण समिति में भेजा गया। बाल विवाह रुकवाने वाले में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल चाइल्ड लाइन से सेंटर कोऑर्डिनेटर जनार्दन यादव, टीम मेंबर राधा यादव, अनवरी खातून एवं दिनेश यादव, चेंद्रा चौकी प्रभारी आराधना बनोदे, सहायक उप निरीक्षक हरिशंकर तिवारी, हेड कांस्टेबल जयप्रकाश तिवारी उपस्थित थे।
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अब 21 की उम्र में होगी लड़कियों की शादी
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने सभी को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी दी। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह (Child marriage) केवल कुरीति ही नहीं बल्कि एक अपराध भी है।
बाल विवाह (Child marriage) करने पर सभी के लिए दंड के प्रावधान है। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में अब 18 नहीं बल्कि 21 वर्ष की लड़कियों की ही शादी हो पाएगी क्योंकि बहुत जल्द लड़कियों के लिए भी 21 वर्ष का उम्र के संबंध में कानून बनने वाला है।