त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षकों पर अनावश्यक बोझ बढ़ाने, सेटअप प्रभावित करने भर की ये साजिश नहीं है, बल्कि इससे पहले बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि संयुक्त शिक्षक संघ (CG teachers) युक्तियुक्तकरण की खामियों को उजागर करेगा और सरकार को युक्तियुक्तकरण के दोषपूर्ण नियमों को वापस लेने को विवश करेगा। उन्होंने कहा कि शालाओं में लागू सेटअप के अनुसार समायोजन किया जाए क्योंकि यही नियम और विधान है।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहला मौका
प्राथमिक शाला में 60 की दर्ज संख्या में प्रधान पाठक सहित 2 शिक्षक जबकि कक्षाएं 5 होती हैं। वहीं माध्यमिक शाला में 105 के दर्ज पर प्रधान पाठक सहित 4 शिक्षक जबकि यहां विषय आधारित शिक्षण होता है जिसमें 6 विषय होते हैं। हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी में भी विषय आधारित शिक्षक होते हैं। कम दर्ज वाले शालाओं का एवं एक ही परिसर में संचालित शालाओं के समायोजन से प्रधान पाठक भी बड़ी संख्या में अतिशेष होंगे। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहला मौका होगा जब प्रधान पाठक को अतिशेष बनाया जा रहा है।
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संयुक्त शिक्षक संघ ने कहा कि राजस्व ग्राम के शालाओं को कम दर्ज संख्या का हवाला देकर बंद किया जाना पूरी तरह से अन्याय है, क्योंकि शिक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिक व्यवस्था प्रत्येक व्यक्ति और ग्राम के लिए किया जाना सरकार का प्राथमिक दायित्व है। इससे शिक्षा तो बर्बाद होगी ही, शिक्षक प्रभावित और परेशान होंगे ही उसके साथ ही शिक्षकों के पदोन्नति का अवसर लगभग समाप्त हो जाएगा क्योंकि यह युक्तियुक्तकरण बड़ी संख्या में पद को समाप्त कर देगा।
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