जयनगर पुलिस ने बताया कि आरोपी आरक्षक दीपक सिंह पिता कामेश्वर सिंह वर्तमान में बिश्रामपुर थाने में पदस्थ था। वह माइनस कालोनी क्वार्टर नंबर 117 में रहता है। आरक्षक वर्ष 2016 से 2022 तक जयनगर थाने में पदस्थापना के दौरान कोर्ट मोहर्रिर का कार्य करता था।
थाने द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वसूली गई समंश राशि, जिसे चालान के माध्यम से एसबीआई सूरजपुर शाखा से शासन के खाता क्रमांक 0041 में जमा किया जाना था, लेकिन आरक्षक ने शातिराना तरीके से कुल 55 प्रकरणों की राशि 17 लाख 4 हजार 360 रुपए बैंक खाते में जमा न कर चालान की प्रति में बैंक का फर्जी सील व मुहर लगाकर थाना व ट्रेजरी में जमा कर दिया गया था। (CG police scam)
8 साल तक आरक्षक के इस गड़बड़ी की भनक तक किसी को नहीं लगी। पिछले दिनों ऑडिट के दौरान सूरजपुर पुलिस द्वारा जिला कोषालय में एसबीआई के चालान के माध्यम से जमा की गई राशि में भारी अंतर पाया गया। इसके बाद अलग-अलग थानों से जमा की गई राशि का बारीकी से मिलान किया गया, तब पता चला कि जयनगर थाने से जमा कराई गई राशि बैंक खाते में जमा ही नहीं हुई है।
इससे हडक़ंप मच गया। मामला आईजी व पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा तो पड़ताल हुई। इसमें पता चला कि कोर्ट मोहर्रिर आरक्षक दीपक सिंह ने थाने से भेजी गई राशि को उस तिथि में बैंक में जमा ही नहीं किया है और फर्जी पावती थाने में जमा करा दी गई है।
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गड़बड़ी प्रमाणित होने के बाद एसएसपी एमआर आहिरे के निर्देश पर जयनगर व बिश्रामपुर पुलिस ने आरक्षक को पूछताछ के लिए बुधवार की रात को ही तलब कर लिया। पहले तो वह कहता रहा कि उसने पूरी राशि बैंक में जमा कर दी थी। लेकिन जब कड़ाई बरती गई तो उसने गबन की बात स्वीकार ली। इसके बाद पुलिस ने आरोपी आरक्षक दीपक सिंह के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471 के तहत जुर्म दर्ज कर गुरुवार को जेल भेज दिया।
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बताया जा रहा है कि जयनगर थाने में वर्ष 2016 से 2022 के बीच मोटर व्हीकल एक्ट में की गई कार्यवाही के दौरान वसूली गई सम्मन शुल्क की राशि का आरक्षक दीपक सिंह द्वारा गबन का मामला 8 वर्ष बाद उजागर होना विभागीय लापरवाही को भी दर्शाता है। सवाल यह है कि क्या विभाग द्वारा हर साल ऑडिट नहीं कराया जाता। वर्ष 2016 का मामला अब ऑडिट में पकड़ा गया है, यदि सालाना ऑडिट कराया गया होता तो इतनी बड़ी राशि का गोलमाल नही हो पाता और समय रहते गड़बड़ी पकड़ी जाती। गड़बड़ी उजागर होने के बाद यह बात भी सामने आ रही है कि कहीं आरक्षक दीपक सिंह द्वारा अन्य थानों में भी पदस्थापना के दौरान गड़बड़ी तो नहीं की गई है। अब सभी थाना द्वारा जमा की गई राशि की पड़ताल एसएसपी ने किए जाने के निर्देश दिए हैं।