पूर्व में जब खदान प्रबंधन खुद कोयला उत्पादन करता था, तब महज पांच से सात सौ टन कोयले का उत्पादन होता था। लेकिन जब आधुनिक तकनीक से करोड़ों की मशीन से कोयला उत्पादन (Coal production) निजी कंपनी ने शुरू किया तब यहां कोयले का उत्पादन बढ़ गया है। वर्तमान में यहां पर रोजाना करीब ढाई हजार टन कोयला उत्पादन हो रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि कोयला उत्पादन के लिए करोड़ों रुपए कंपनी ने मशीनी उपकरणों के खरीदी व ठेका कंपनी के अनुबंध में फूंक दिए लेकिन उत्पादित कोयला को सुरक्षित रखने प्रबंधन के गंभीर प्रयास के अभाव में उत्पादित कोयला चोरों व बिचौलियों के लिए लंबे समय से अवैध कमाई का जरिया बना हुआ है।
CG Coal theft: हर दिन 40-50 चोर कोयले की कर रहे चोरी
वर्तमान में बारिश के सीजन में रोजाना 40 से 50 की संख्या में कोयला चोर दिन में बाइक से खदान पहुंच कर अधिकारियों के सामने ही बोरियों में कोयला भर आराम से (CG Coal theft) ले जा रहे हैं, जिन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। अनुमान के मुताबिक रोजाना यहां 40 से 45 टन कोयला चोर अपने साथ ले जा रहे हैं। बुधवार को खदान के एक कर्मचारी द्वारा पत्रिका प्रतिनिधि को खदान से बल पूर्वक हो रही कोयला चोरी की भेजी गई तस्वीर में इस बात की पुष्टि हो रही है। कर्मचारी ने बताया कि समूह में आए कोयला चोर खदान के बंकर के नीचे से कोयला भरकर कंधों में लादकर खदान की चार दिवारी तक पहुंचाते हैं जिससे हर वक्त खतरा बना रहता है। यह सब गतिविधियां प्रात: दस बजे से शाम पांच बजे तक चलती है।
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होटलों, छोटे उद्योगों व हॉस्टल में सप्लाई
कोयला चोर खदान के बाहर बाइक में कोयला लादकर (CG Coal theft) सूरजपुर, बिश्रामपुर के होटलों व छोटे उद्योगों, हॉस्टल तक पहुंचाते हैं। बड़ी बोरी में कोयला 500-600 रुपए तक नगद बिक जाता है। खबर तो यह भी है कि दशहरा के बाद मौसम साफ होते ही ईंट भा का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में चोरों द्वारा ईंट-भा संचालकों के लिए उनके बताए गए ठिकानों में कोयला संग्रहण किए जाने की सूचना है।
स्टॉक मेंटेन पर उठ रहे सवाल
खदान से रोजाना लाख रुपए से अधिक की कोयला चोरी हो रही है। यहां प्रबंधन आखिर किस तरह स्टॉक मेंटेन कर रहा है जो जांच का विषय है। कोयला चोरी (CG Coal theft) पर कर्मचारी ने बताया कि प्रबंधन के अधिकारी यहां रोड सेल की वसूली में व्यस्त हैं। प्रबंधन यहां जनरल मजदूर को बूम बेरियर का नियम विरुद्ध इंचार्ज बनाकर उससे रोड सेल की वसूली कराता है। वर्तमान में यहां से रोजाना 100 ट्रक कोयला रोड सेल के माध्यम से बाहर भेजा जा रहा है। खदान प्रबंधन ने बताया कि कोयला चोरी हो रही है, इससे नुकसान हो रहा है लेकिन हम कर क्या सकते हैं।
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सुरक्षाकर्मी भी चोरों को रोक पाने में नाकाम
दिन में कंपनी के सुरक्षा कर्मी ड्यूटी देते हैं और रात में त्रिपुरा बटालियन के 2 जवान ड्यूटी करते हैं। बावजूद इसके कोयला चोरी हो रही है। प्रबंधन का कहना है कि पुलिस को समय-समय पर कोयला चोरी की सूचना लिखित में देते हैं लेकिन जैसा सहयोग मिलना चाहिए वैसा नहीं मिल पाता है। अब क्या किया जा सकता है। रोड सेल में बूम बेरियर आपरेटर से अवैध वसूली की बात से खदान के मैनेजर जेडी सिंह ने इनकार करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है।
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बंकर के नीचे से चोरी के कारण हादसे का भय
बताया जा रहा है कि कोयला चोर (Coal thieves) खदान के बंकर के नीचे स्टॉक से कोयला बोरियों में भरते हैं। ऐसे में बंकर से कोयला गिरते समय हादसा हुआ तो इसकी जवाबदारी कौन लेगा। कोयला चोर जब समूह में खदान पहुंचते हैं तो रोड सेल का काम प्रबंधन को रोकना पड़ता है ताकि कोई टैरेक्स के नीचे न आ जाए। प्रबंधन के कोयला चोरी रोकने में दिलचस्पी नहीं लेना और गंभीर प्रयास नहीं करना जांच का विषय है।