सुल्तानपुर

Somvati Amavasya : वर्ष 2021 की पहली पहली व अंतिम सोमवती अमावस्या कल, बन रहे अशुभ संयोग, ऐसे कम करें इनका प्रभाव

इस बार Somvati Amavasya 2021 के दिन बन रहे दो घातक योग, जानें इनका प्रभाव, निदान और शुभ-अशुभ मुहूर्त

सुल्तानपुरApr 11, 2021 / 05:59 pm

Hariom Dwivedi

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सुलतानपुर. Somvati Amavasya. हिंदू धर्म में हर महीने में एक अमावस्या तिथि पड़ती है। ऐसे में साल में कुल 12 अमावस्या आती हैं। सनातन संस्कृति में सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस साल सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति और विष्कंभ योग है। इस साल 2021 में सिर्फ एक ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है। सोमवती अमावस्या को रेवती नक्षत्र सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक है, जबकि चंद्रमा सुबह 11:30 बजे मीन राशि और फिर मेष में गोचर करेगा। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, विष्कुम्भ योग को जहर से भरा हुआ घड़ा कहा गया है। इसी के चलते इस योग में किए गए कार्य अशुभ फल देते हैं।
वैधृति योग में यात्रा करने से बचें
सुलतानुपर के आचार्य डॉ. शिव बहादुर तिवारी बताते हैं कि सोमवती अमावस्या को शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त 12 अप्रैल को 4.17 मिनट से अप्रैल 13 को 5.02 बजे तक है। इसी तरह अभिजीत मुहूर्त- 11.44 बजे ले 12.35 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त- 2.17 मिनट से 3.07 बजे तक है। गोधूलि मुहूर्त- 6.18 बजे से 6.42 मिनट तक, तो अमृत काल- 8.51 मिनट से 10.37 बजे तक है। इसी तरह निशिता मुहूर्त- 11.46 से 12.32 मिनट तक रहेगा।
यह भी पढ़ें

कोविड गाइडलाइन मानने वाले भक्तों को ही वरदानी हनुमान मंदिर में एंट्री, प्रसाद के साथ Mask भी मिल रहा



सोमवती अमावस्या पर अशुभ मुहूर्त
आचार्य डॉ शिव बहादुर तिवारी ने बताया कि सोमवती अमावस्या को राहुकाल- 7.23 से 8.59 बजे तक है। यमगण्ड- 10.34 बजे 12.10 मिनट तक रहेगा। इसी तरह गुलिक काल- 1.45 मिनट से 3.20 बजे तक है। उन्होंने कहा कि सोमवती अमावस्या को गण्ड मूल- पूरे दिन रहेगा, तथा पंचक- 5.48 मिनट से 11.30 बजे तक ही हैं।
करें पीपल और तुलसी की पूजा
आचार्य डॉ. शिव बहादुर तिवारी ने कहाकि सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य और तुलसी जी को अर्ध्य दें। इसके बाद भगवान शिव को भी चल चढ़ाएं। आप चाहे तो मौन व्रत रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। इसके साथ ही तुलसी का भी पौधा रखें। पीपल पर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, हल्दी, माला, काला तिल आदि चढ़ाएं। वहीं तुलसी में पान, फूल, हल्दी की गांठ और धान चढ़ाएं। इसके बाद पीपल की कम से कम 108 बार परिक्रमा करें। घर आकर पितरों का तर्पण दें। इसके साथ ही गरीबों को दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।
यह भी पढ़ें

बुंदेलखंड में 40 पार पहुंचा पारा, जानें- यूपी में मौसम का हाल



Hindi News / Sultanpur / Somvati Amavasya : वर्ष 2021 की पहली पहली व अंतिम सोमवती अमावस्या कल, बन रहे अशुभ संयोग, ऐसे कम करें इनका प्रभाव

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.