सावन मास में पारिजात वृक्ष है आस्था का केंद्र इस पर देवराज इंद्र और भगवान कृष्ण के बीच भीषण युद्ध हुआ था। कृष्ण और देवराज इंद्र के इस युद्ध में इंद्र की हार हुई और भगवान कृष्ण की जीत। इंद्रदेव से युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात देवमाता ने भगवान कृष्ण को पारिजात वृक्ष भेंट किया था। तब से यह वृक्ष इसी धरा पर रहकर लोगों का कल्याण कर रहा है। शहर के जिला उद्योग केंद्र परिसर में स्थित पारिजात वृक्ष धाम सावन मास में आस्था का केंद्र बना है।
पारिजात वृक्ष की यह है मान्यता कहते हैं कि हजारों वर्ष पूर्व द्वापर युग में स्वर्ग से देवी सत्यभामा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा धरती पर लाए गए पारिजात वृक्ष की कथा प्रचलित है। यह वृक्ष समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ माना जाता है। 14 रत्नों में यह एक विशिष्ट रत्न रहा है। पुराणों के वर्णन के अनुसार पारिजात वृक्ष अपने पुष्प की सुगंध चार योजन तक बिखेरता है। इंद्रलोक की अप्सरा देवी उर्वशी अपनी थकान इसी वृक्ष की शीतल छाया में विश्राम करके मिटाती थी।