गोवर्धन पूजा करने के लिए घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन की पूजा करने से सालभर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है।
सबसे पहले द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण के कहने पर गोवर्धन पर्वत की पूजा मथुरा बृंदावन आदि स्थानों पर हुई थी। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। गाय के गोबर से इसलिए क्योंकि पुराणों में इसे पवित्र माना जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि गाय के गोबर में भी लक्ष्मी का निवास होता है। इसलिए सुख और समृद्धि के लिए भी गोवर्धन पूजा करने की परंपरा है। इस दिन गायों की सेवा का महत्व है।
आचार्य ने बताया कि सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तेल की मालिश करके नहाना चाहिए। घर के आंगन पर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं। इस पर्वत के बीच में या पास में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रख दें। अब गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की पूजा करें और मिठाइयों का भोग लगाएं। देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। पूजा के बाद कथा सुनें। ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दान-दक्षिणा दें।