सुल्तानपुर

देववृक्ष के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, स्वर्ग से धरती पर इसे लाये थे श्रीकृष्ण

पारिजात में फूल तो खिलते हैं, लेकिन फल नहीं होता, वृक्ष का न तो बीज होता है और न ही इसका तना लगता है और न ही जड़…

सुल्तानपुरSep 05, 2018 / 04:25 pm

Hariom Dwivedi

देववृक्ष के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, स्वर्ग से धरती पर इसे लाये थे श्रीकृष्ण

सुलतानपुर. जिले में एक पारिजात वृक्ष है, जिसे देववृक्ष कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यह वृक्ष मनोवांछित कामनाओं को पूरा करने वाला है। सच्चे मन से इस पेड़ के नीचे प्रार्थना करने पर इंसान के सारे कक्ट दूर हो जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने व्रत-अनुष्ठान के दौरान भगवान कृष्ण से पारिजात को धरती पर लाने की जिद की थी। इस पर देवराज इंद्र और भगवान कृष्ण के बीच संग्राम हुआ था। इंद्र की हार हुई और भगवान कृष्ण की जीत पर देवमाता ने उन्हें पारिजात भेंट किया था। तब से यह वृक्ष धरती पर है।
देववृक्ष पारिजात की खासियत यह है कि इस वृक्ष में फूल तो खिलते हैं, लेकिन फल नहीं होता। इस वृक्ष का न तो बीज होता है और न ही इसका तना लगता है और न ही जड़। इस बात को लेकर उद्यान विभाग के अधिकारी भी आश्चर्य में हैं।
जिला मुख्यालय के जिला उद्योग केंद्र पर मौजूद अति दुर्लभ देव वृक्ष पारिजात जिले का गौरव है, जो राष्ट्रीय पटल पर खास अहमियत दिलाता है। महाभारत जैसे बड़े ग्रंथ की प्रमाणिकता से यादों को संजोये रखने वाला यह देववृक्ष संरक्षण के अभाव में समाप्त होने की कगार पर है। प्रशासन, वन विभाग और उद्यान विभाग के बीच तालमेल के अभाव के चलते इसका संरक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
…तो मिट जाएगा पारिजात का नामो-निशान
देववृक्ष पारिजात अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। यही स्थिति बनी रही तो अगले एक दशक में देववृक्ष कहे जाने वाले पारिजात का नामो-निशान मिट जाएगा। कल्पवृक्ष सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने प्रदेश व केंद्र सरकार से इसके संरक्षण के लिए ठोस पहल करने की मांग की है, लेकिन वन विभाग और उद्यान विभाग के बीच तकरार से देववृक्ष का संरक्षण नहीं हो पा रहा है।
मूल स्वरूप खो रहा पारिजात
देव वृक्ष का संरक्षण नहीं होने से शाखाएं अपना मूल स्वरूप खोती जा रही हैं। कल्पवृक्ष सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूर्व में उद्यान विभाग, तो कभी वन विभाग को इसके रख-रखाव और बेहतरी का दायित्व दिया गया, लेकिन कभी बजट और कभी दायित्व का हवाला देकर अफसर पल्ला झाड़ते रहे हैं। इससे इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
इन्होंने की देववृक्ष के संरक्षण की मांग
कल्पवृक्ष सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष अंकित श्रीवास्तव, रमेश सिंह टिन्नू, आशीष सिंह, सुदामा प्रसाद यादव, अंजनी श्रीवास्तव, रवि त्रिपाठी, रवि कुमार, विकास चौरसिया, अभिनय, दुर्गेश सोनी, विशाल तिवारी, अनिल सिंह, आदित्यराज, तिवारी पंडित, रवींद्र जायसवाल और आशीष सिंह ने प्रदेश सरकार से देववृक्ष के संरक्षण की मांग की है। इन सबका कहना है कि यदि इस दुर्लभ प्रजाति के देववृक्ष का तत्काल संरक्षण नहीं किया गया तो यह देववृक्ष विलुप्त हो जायेगा।
 

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