यह भी पढ़ें : कम उम्र में गाठिया का एक कारण अनियमित जीवन शैली भी बच्चे के कान से सम्बंधित मामला होने के कारण ङ्क्षछदगढ़ से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस बीच छुट्टी होने के कारण दो दिनों के बाद पोटाकेबिन प्रबन्धन के स्वास्थ्य विभाग देख रहे कर्मचारियों की बिना जानकारी के स्वयं धनन्जय साहू के द्वारा पीडि़त छात्र को जिला अस्पताल ले जाकर डॉक्टर को वास्तविक जानकारी न देकर उपचार करवाया करा कर उसे उसके माता पिता के पास गोंगला भेज दिया गया।
यह भी पढ़ें : बस्तर दशहरा : मागुरमुई पूजा विधान के बाद जोड़े चार पहिए, अब तैयार होगा फूलरथ इस मामले की जानकारी मिलनिे पर समाजसेवी दीपिका शोरी पोटाकेबिन पहुंची तो पीडि़त आदिवासी छात्र शिवा कोर्राम ने उन्हें बताया कि घटना वाले दिन खाने में सब्जी खत्म हो गई थी अचार के साथ खाना पड़ रहा था । इसलिए मैं अपने रूम में जाकर भोजन करना चाह रहा था बस इसी वजह से साहू सर ने मुझे कान पर जोर से मारा। जिसके कारण मेरे कान से खून निकल आया और बहुत दर्द भी हुआ ।
यह भी पढ़ें : सहायक आरक्षक की हत्या में शामिल दो नक्सली पकड़ाए बच्चे की बात पर समाजसेवी दीपिका बहुत ही आक्रोशित हुई व उन्होंने डीएमसी श्याम सुंदर चौहान से तत्काल बात की व उक्त शिक्षक को अन्यत्र तबादला कराने व दण्डित करने के साथ साथ पीडि़त छात्र को मुआवजा देने हेतू कहा साथ ही शिवा कोर्राम के अलावा भी अन्य बच्चों ने मारपीट की शिकायत की। उन्होने बच्चे का समुचित उपचार करवाने भी कहा है। दीपिका ने बताया कि यहाँ के बच्चों ने बताया कि सुकमा से जो शबरी दूध बच्चों के लिए आता है समस्त छात्रों ने उसे न भेजने का निवेदन भी किया है। दूध की जगह किसी अन्य पौष्टिक आहार की मांग बच्चों ने की है।
यह भी पढ़ें : CG Politics : पिता की शहादत का मोल तक नहीं जाना पार्टी ने… जिला प्रशासन को इसे संज्ञान में ले कर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। किसी फर्म को लाभ पहुंचाने से अच्छा है कि बच्चों की रुचि अनुसार उन्हें खाद्य पदार्थ देना चाहिए। जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी खराब असर न पड़े क्योंकि बच्चों ने बताया की यह दूध पीने से बदबू आता है, जो शायद बच्चों तक पहुंचने से पहले ही खराब हो जाता है, इसलिए इस दूध की भी पूरी गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए।