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रामपुर धर्म परिवर्तन: वाल्मीकि परिवारों को नहीं मिला मालिकाना हक

उत्तर प्रदेश में रामपुर के वाल्मीकि बस्ती प्रकरण में समझौते को अमलीजामा
पहनाने में हो रही देरी से असंतुष्ट राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति
आयोग के तेवर तल्ख हो गए हैं।

Apr 22, 2015 / 01:01 pm

उत्तर प्रदेश में रामपुर के वाल्मीकि बस्ती प्रकरण में समझौते को अमलीजामा पहनाने में हो रही देरी से असंतुष्ट राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के तेवर तल्ख हो गए हैं।

आयोग ने दलितों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लेने और उन्हें मालिकाना हक दिलाने संबंधी प्रस्ताव में देरी पर सख्त रूख अपनाते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव आवास को तलब किया है। वहीं नगर पालिका ने आयोग में पक्ष रखते हुए संपति पर अपना मालिकाना हक जताया है।

शहर के तोपखाना रोड स्थित वाल्मीकि बस्ती के 50 से ज्यादा घरों पर लाल निशान लगाकर नगर पालिका प्रशासन ने उन्हें गिराने की कार्रवाई के संकेत दिए थे। जिसके विरोध में वाल्मीकि समाज के लोगों ने शहर में जुलूस निकालकर नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां के खिलाफ नारेबाजी व प्रदर्शन किया था।

मामला उस वक्त और पेचीदा हो गया जब मंत्री के खिलाफ नारेबाजी से नाराज सपाइयों के दबाव में पुलिस प्रशासन ने दलितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की मांग कर दी। इससे खफा वाल्मीकि समुदाय के लोग बस्ती में ही आमरण अनशन पर बैठ गए थे।

इधर बस्ती बचाने को वाल्मीकियों की इस्लाम धर्म कुबूल करने के फैसले पर भारतीय जनता पार्टी़ कांग्रेस़ बसपा तथा तमाम हिंदू संगठनों के उनके समर्थन में उतरने से शासन प्रशासन की मुश्किलें बढऩे लगीं।

सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर की शिकायत पर हरकत में आए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने 16 अप्रैल को उपाध्यक्ष डा0 राजकुमार बेरका को मौके पर भेज दिया। जिनके हस्तक्षेप पर प्रशासन ने आंदोलनकारियों की सभी मांगे लिखित में मान ली थीं। तब वाल्मीकियों ने अनशन समाप्त कर दिया था।

बहरहाल समझौते के सप्ताहभर बाद भी वाल्मीकियों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लेने व दलितों को मालिकाना हक दिलाने संबंधी प्रस्ताव नहीं भेजे जाने से खफा आयोग ने पूरे प्रकरण को बेहद संजीदगी से लिया है।

उपाध्यक्ष डा0 बेरका ने बताया कि जिलाधिकारी सी पी त्रिपाठी को अब तक की कार्रवाई तथा प्रगति रिपोर्ट लेकर बुलाया था। जिसमें प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई ही नहीं की गई है। लिहाजा अब मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव आवास को आयोग में नई दिल्ली तलब किया है।

अगली सुनवाई के लिए 18 मई की तारीख तय कर दी गई है। उन्होंने बताया कि संपति पर अपने मालिकाना हक से संबंधित पालिकाध्यक्ष का पत्र जरूर भेजा गया है।




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