भाजपा ने नहीं उतार कोई उम्मीदवार
भाजपा ने अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से यह कहते हुए कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है कि पार्टी को कश्मीर में कमल खिलने की कोई जल्दी नहीं है। भाजपा ने अपनी पार्टी के मन्हास को मौन समर्थन दिया है, जो एक पहाड़ी हैं। इस साल की शुरुआत में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पहाड़ी और कुछ अन्य समूहों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया था और इस समुदाय से अब भाजपा को वोट मिलने की उम्मीद थी। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार के खड़े नहीं होने से पहाड़ी अब प्रमुख दलों के लिए तैयार हैं। अनंतनाग-राजौरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा जातीय पहाड़ी का है।
गुज्जर और बकरवाल मुस्लिम समुदायों का भी वर्चस्व
इस क्षेत्र में गुज्जर और बकरवाल मुस्लिम समुदायों का भी वर्चस्व है और नेशनल कॉन्फ्रेन्स काे भरोसा है कि इस समुदाय के लोग पार्टी उम्मीदवार मियां अल्ताफ को वोट देंगे। वह प्रभावशाली गुज्जर नेता हैं और पीर पंजाल निर्वाचन क्षेत्र में आदिवासी समुदाय पर आध्यात्मिक प्रभाव रखते हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र की आधी से अधिक आबादी कश्मीरी हैं जबकि पहाड़ी, गुज्जर और बकरवाल लगभग समान आबादी वाले, बाकी का योगदान करते हैं।
पीडीपी गढ़ था दक्षिण कश्मीर
दक्षिण कश्मीर पीडीपी का पूर्व गढ़ हुआ करता था और यह मुफ्ती के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो सभी जातियों के मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। नेकां ने 2009 और 2019 में यह सीट जीती थी जबकि पीडीपी 2004 और 2014 में विजेता बनकर उभरी। पिछले लोकसभा चुनाव में अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में महज नौ प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि राजौरी-पुंछ क्षेत्र, जो जम्मू लोकसभा सीट का हिस्सा था, में 72 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया था। वर्ष 2104 में अनंतनाग लोकसभा सीट पर 28 फीसदी मतदान हुआ था। बारामूला और श्रीनगर में मतदान शांतिपूर्ण रहा, लेकिन अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में अधिकारियों के सामने सुरक्षा चुनौती है।