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छतरपुर

मौसम में उतार चढ़ाव से वायरल के मरीज बढ़े, पांच से सात दिन में ठीक हो रही खांसी

मरीजों की संख्या पिछले दो हफ्ते से लगातार बढ़ रही है। शहर के सभी प्राइवेट हास्पिटल, क्लीनिक में बुखार, सर्दी-खांसी, गले में दर्द के मरीजों की कतार है। डाक्टर कहते हैं कि मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ ही वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय मौसम में अचानक तेज धूप के साथ गर्मी पड़ रही है तो फिर बारिश हो जा रही है, उसके बाद उमस स्वास्थ्य गत परेशानी पैदा कर दे रहा है।

छतरपुरJul 25, 2024 / 11:01 am

Dharmendra Singh

hospital

डॉक्टरों के चैंबर के बाहर मरीजों की भीड़

छतरपुर. मौसम में हो रहे बदलाव के कारण अब सेहत पर भी इसका असर पड रहा है। बड़ी तादात में वायरल फीवर का संक्रमण भी फैल गया है। इसके मरीजों की संख्या पिछले दो हफ्ते से लगातार बढ़ रही है। शहर के सभी प्राइवेट हास्पिटल, क्लीनिक में बुखार, सर्दी-खांसी, गले में दर्द के मरीजों की कतार है। डाक्टर कहते हैं कि मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ ही वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय मौसम में अचानक तेज धूप के साथ गर्मी पड़ रही है तो फिर बारिश हो जा रही है, उसके बाद उमस स्वास्थ्य गत परेशानी पैदा कर दे रहा है। लिहाजा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में वायरस जल्दी अटैक कर लेता है।

शहर में पिछले 15 दिनों से कुछ ऐसा ही हाल


शहर में पिछले 15 दिनों से कुछ ऐसा ही हाल बना हुआ है। तापमान में कुछ ही घण्टे में पांच से सात डिग्री तक का बदलाव हो रहा है। ऐसे में भीगने, उमस व गर्मी के साथ ही ठंडी हवा की चपेट में आने के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। इस बार वायरल के असर में बदलाव देखा जा रहा है।अब तक यह संक्रमण सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार होने के बाद तीन-चार दिन में ठीक हो जाता था। लेकिन इस बार इसे ठीक होने में कम से कम सात से 10 दिन का समय लग रहा है। सरकारी के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में भी वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। 40 प्रतिशत मरीजों में वायरल फीवर है। चिकित्सको के मुताबिक वायरल के मरीजों की संख्या में पिछले दो-तीन हफ्तों में बहुत इजाफा हुआ है। पहले जहां दिनभर में 20-25 मरीज ही वायरल के आते थे। अभी 100 से अधिक मरीज रोज आ रहे हैं।

वायरस म्युटेशन के कारण ठीक होने में लग रहा समय


डॉ. रोहित चतुर्वेदी ने बताया सामान्य तौर पर तीन से चार दिन में ठीक होने वाला वायरल बुखार पांच से सात दिन तक चल रहा है। वायरल फीवर का ठीक होना काफी हद तक पेशेंट की इम्युनिटी पर निर्भर करता है। इस बार इम्युनिटी कम नहीं होने पर भी यह बुखार 24 घंटे से लेकर 5 -7 दिन तक चल रहा है। कई बार वायरस म्युटेशन के कारण भी वायरल लंबा चलता है। साधारण वायरल में एंटीबायोटिक्स का रोल नहीं है। एंटीबायोटिक्स तभी दी जानी चाहिए तब पेशेंट में किसी तरह का अन्य बैक्टीरियल इंफेक्शन है।

डॉक्टर की सलाह से ही ले दवाएं


अगर कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन नहीं है तो एंटीबायोटिक्स नहीं लें। पेशेंट्स में ब्लड काउंट बढऩे पर एंटीबायोटिक्स दी जानी चाहिए। ब्लड काउंट सामानय रहने पर एंटीबायोटिक्स नहीं लें। वायरल का सामान्य ट्रीटमेंट लें। अन्य कोई इंफेक्शन होने पर 3 से 5 दिन तक एंटीबॉयोटिक्स का कोर्स डॉक्टर की सलाह पर लें। कैमिस्ट और मनमर्जी से दवाइयां नहीं लेनी चाहिए।

बॉडी पेन व हैडक सहन नहीं होने पर ही खाएं पेरासिटामोल


100 डिग्री फारेनहाइट बुखार में ही पेरासिटामोल लें। इससे कम बुखार होने पर यह टेबलेट नहीं लें। यदि बुखार 100 डिग्री से कम है और बॉडी पेन, हैडेक सहन नहीं हो रहा है। तब यह टेबलेट ले सकते हैं। अन्यथा इससे कम टेम्प्रेचर कोल्ड स्पंजिंग से ठीक हो जाएगा। अभी जो वायरल फीवर चल रहा है। यह एच1 एन 1 की तरह रिएक्ट कर रहा है, लेकिन जांच करवाने पर यह वायरस डिटेक्ट नहीं हो पा रहा है। ऐसा वायरल स्ट्रेन के मोडिफिकेशन और म्युटेशन होने की वजह से भी हो सकता है।

पांच दिन तक खांसी


डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि इस मौसम में वायरल संक्रमण फैल रहा है, इस बार वायरल संक्रमण में तेज बुखार आ रहा है और पांच से सात दिन में मरीज ठीक हो रहे हैं। पैरासीटामोल, एंटी एलर्जिक दवा के साथ भाप लें। बुखार ठीक होने के बाद खांसी की समस्या बनी रह सकती है। लंबे समय तक बुखार बने रहने पर जांच कराना ज्यादा जरूरी हो जाता है।

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