रेलवे और राजस्व के अलग-अलग दावे
नौगांव तहसील के तीनों राजस्व आरआइ, पटवारी एवं रेल अधिकारियों ने चपरन गांव में भू अर्जन के लिए नाप की है। रेलवे लाइन से 50 मीटर तक अपनी जमीन बता रहा है, राजस्व विभाग 20 मीटर तक रेलवे की जमीन बता रहा है। रेलवे चपरन गांव में बने 46 कच्चे पक्के मकान को अपनी जमीन पर बना बता रहा है। जबकि राजस्व के नक्शे में ये जमीन गांव का रहवासी क्षेत्र है। जमीन को लेकर उलझन सामने आई तो दोनों विभागों के अधिकारियों ने नक्शा मिलान किया तो बड़ा अंतर पाया गया, जिसके चलते सीमांकन कार्य रोक दिया गया है।
गांव की बंद हो जाएगी रास्ता
वर्षो पहले गंाव में जो कच्चे मकान थे, उनमें से ज्यादातर अब पक्के हो बन गए हैं। लेकिन रेल लाइन के दोहरीकरण के काम के चलते भू अर्जन के लिए जमीन की नाप होने के चलते ग्रामीण परेशान हैं। रेल लाइन दोहरीकरण के लिए रेलवे ने मकानों व प्राथमिक स्कूल तक लाल निशान लगा दिए हैं। जिससे गांव के लोगों के बेघर होने का डर सता रहा हैं। ग्रामीणों ने बताया कि दोहरीकरण के लिए रेलवे द्वारा चाही गई जमीन पर गांव के 46 कच्चे पक्के घरो सहित गांव में स्थित प्राथमिक शाला भी आ रही हैं। रेलवे ये जमीन अधिग्रहित करेगी तो गांव की प्राथमिक शाला के साथ ही गांव जाने का रास्ता भी बंद हो जाएगा। चपरन गांव के आधा सैकड़ा ग्रामीणों नौगांव एसडीएम को ज्ञापन देकर जमीन का सही सीमांकन कराने और अधिग्रहीत होने वाली जमीन का उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है।
इनका कहना है
दूसरी लाइन बिछाने से चपरन गांव में रेलवे ट्रैक वाला रास्ता बंद होने से ग्रामीणों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो सकती हैं। गांव का रास्ता बचाए रखने के लिए राजस्व अधिकारियों से बात की है।
कल्लू प्रजापति, सरपंच, ग्राम पंचायत सरसेड़
विशा माधवानी, एसडीएम नौगांव
रेलवे भू-अर्जन राज्य सरकार के माध्यम से करती हैं। चपरन गांव का क्या मामला हमें जानकारी नहीं है। जानकारी लेकर बतलाते हैं।
मनोज कुमार सिंह, पीआरओ, झांसी रेल मंडल