जिला मुख्यालय पर देखने को मिल रहा है। पत्रिका संवाददाता ने गौशाला मार्ग पर भाटिया पंप के सामने स्थित शराब ठेके पर देखा। शाम चार बजे यह शराब का ठेका बंद था। लेकिन शराब की बिक्री फिर भी चल रही थी। जिस दुकान पर यह ठेका संचालित होता है उसका शट्टर बंद है।
यहां तक कि शट््टर पर ताले भी जड़े हुए फिर भी इस शट्टर में से शराब की बोतलें और क्वार्टर जो आपको चाहिए वह बाहर आ रही है। बस, रूपए गिनकर शराब ठेके के बाहर खड़े युवक को दो।
वह अपने दिए हुए रुपयों की गिनती करेगा और अपनी जेब में से मोबाइल निकालकर कॉल करेगा। झट से शट्टर के नीचे वाले हिस्से के पास लोहे के छिद्र से अपनी डिमांड के अनुरुप बोतल आ जाएगी। यह बोतल झट से ग्राहको को देकर वहां से रवाना किया जा रहा है।
भाटिया पंप के सामने स्थित शराब ठेके की बंद दुकान का दृश्य। बीरबल चौक से सुखाडि़या सर्किल की ओर से जा रही एक कार इस ठेके के आगे रूकी। कार से उतरे एक ग्राहक ने ठेके की ओर देखा तो वह बंद था।
भाटिया पंप के सामने स्थित शराब ठेके की बंद दुकान का दृश्य। बीरबल चौक से सुखाडि़या सर्किल की ओर से जा रही एक कार इस ठेके के आगे रूकी। कार से उतरे एक ग्राहक ने ठेके की ओर देखा तो वह बंद था।
इस ग्राहक को देखते हुए ठेके के बाहर टहल रहे एक युवक उसके पास आया। ब्रांड का नाम बोला और एक बोतल की डिमांड की। ग्राहक ने अपनी पेंट की जेब से पर्स निकाला और रूपए गिनकर इस युवक के हाथ में थमाए। रुपए गिनते ही इस युवक ने अपनी जेब से मोबाइल फोन से एक कॉल की। एक ही पल में शट््टर के नीचे एक साइड में लोहे का ढक्कन जैसे कार में पेट्रोल डलवाने के लिए टंकी का ढक्कन खुलता है, उसी तर्ज पर यह ढक्कन खुला।
झट से शराब की बोतल का कुछ हिस्सा बाहर आया तो युवक ने झट से पकड़कर इस ग्राहक के सुपुर्द कर दिया। अपनी मनपंसद की शराब देखते ही इस ग्राहक के चेहरे पर नई मुस्कान आ गई। वह कार में झट से बैठा और वहां से रवाना हो गया।
इसी प्रकार कुछ देर बाद एक बाइक पर अधेड़ उम्र का शख्स आया और उसने भी अपनी जेब से दो सौ रुपए का नोट पकड़वाया। इस सैल्समैन ने कॉल की और एक क्वार्टर दे दिया। जाते समय उसके बचे हुए रुपए भी लौटाए।
सुखाडि़या सर्किल से बीरबल चौक तक गौशाला मार्ग शहर की सबसे व्यस्तम रोड है। हर पल वहां से पुलिस, जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की गाडि़यों की आवाजाही रहती है।
सुखाडि़या सर्किल से बीरबल चौक तक गौशाला मार्ग शहर की सबसे व्यस्तम रोड है। हर पल वहां से पुलिस, जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की गाडि़यों की आवाजाही रहती है।
कहते है कि पूरा शहर भले ही सो जाएं लेकिन यह रोड हमेशा जागती रहती है। लेकिन इसके बावजूद भी यहां बंद शराब ठेके से शराब की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। इस संबंध में पुलिस या आबकारी अधिकारियों की नजर नहीं जाती। कोरोनाकाल में आम आदमी को घरों में बंद करने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से इस रोड पर मार्च भी निकाला जाता है लेकिन स्थिति विपरीत है। धड़ल्ले से शराब की बिक्री करने वालों पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।
अभय कमांड सैंटर की ओर से इस रोड पर सीसी टीवी कैमरे लगाकर निगरानी रखी जाती है।
अभय कमांड सैंटर की ओर से इस रोड पर सीसी टीवी कैमरे लगाकर निगरानी रखी जाती है।
पुलिस कंट्रोल रूम स्थित सैँटर के माध्यम से सुखाडि़या सर्किल तक ट्रैफिक की आवाजाही और लोगों के आने जाने पर नजरें रहती है। लेकिन इस शराब ठेके से हो रही शराब की अवैध बिक्री को लेकर अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। आबकारी विभाग के अधिकारी भी इस संबंध में जानबूझकर मूकदर्शक बने हुए है।
ग्राहकों के आने के बाद बंद शराब ठेके के बाहर बैठे सैल्समैन की ओर से रुपए लेने और शट्टर में से शराब बाहर आने और ग्राहक को सुपुर्द करने की पूरी वीडियो रिकॉर्ड की गई है।
ग्राहकों के आने के बाद बंद शराब ठेके के बाहर बैठे सैल्समैन की ओर से रुपए लेने और शट्टर में से शराब बाहर आने और ग्राहक को सुपुर्द करने की पूरी वीडियो रिकॉर्ड की गई है।
पत्रिका संवाददाता इस ठेके के पास एक दवा दुकान पर ग्राहक बनकर वहां कुछ देर खड़ा रहा। पूरी वीडियो बनाई ताकि लोगों को यह पता चल सके कि जिला मुख्यालय पर जिम्मेदार अधिकारियां की देखरेख में शराब की किस तरह बिक्री हो रही है।
पूरे जिले में शराब की बिक्री के लिए ठेके बंद होने के बावजूद अधिक खपत है। लोगों को शराब चाहिए, इसके लिए रुपए की जरूरत है।