राज्य सरकार ने गरीबों का हक मारने वाले सरकारी राज्य कमिज़्यों की सूची बनाकर इन पर एफआईआर दजज़् कराने की घुड़की दी तो आनन फानन में इन कामिज़्कों ने सवा दो करोड़ रुपए का भुगतान जिला रसद विभाग में जमा करा दिया।
जिला रसद विभाग के पास भिजवाई तो पहले उठाई गई गेहूं के एवज में 27 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से वापस राशि का भुगतान करना पड़ा है। सरकार की ओर से आई इस सूची में जिले में 1836 राज्य कामिज़्क दोषी माने गए। इसमें से 1640 राज्य कमज़्चारियों ने जिला रसद विभाग में 2 करोड़ 19 लाख 2 हजार 28 रुपए का भुगतान कर दिया है।
लेकिन 196 राज्य कमज़्चारी अब भी दोषी होने के बावजूद रिकवरी राशि 57 हजार रुपए का भुगतान नहीं कर पाए है। पिछले साल मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिला कलक्टसज़् को उन सरकारी कमज़्चारियों से रिकवरी करने के आदेश किए थे। रिकवरी नहीं कराने पर एफआईआर दजज़् करने की चेतावनी दी थी।
राशन दुकान से उठाए गए अनाज के एवज में सरकारी कामिज़्कों से 13 गुणा दर से वसूली की गई। राज्य के खाद्य एवं आपूतिज़् विभाग ने राशि वसूलने के लिए सभांगीय आयुक्त के माध्यम से कलक्टसज़् को अधिकृत किया था।
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गरीबों को दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से राशन दिया जाता है। सरकारी कमज़्चारियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गरीबों को सस्ती दरों पर आए गेहूं की पात्रता सूची में खुद के नाम शामिल करा लिए है।
जिन कामिज़्कों ने यह गेहूं राशन की दुकानों से दो रुपए किलो की दर से खरीदा था अब उनको भारतीय खाद्य निगम की खरीद, लागत, ढुलाई और विभागीय खचोज़् के आधार पर 27 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से कीमत वसूल की गई।
इस बीच जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी का कहना है कि यह सही है कि अभी भी 196 राज्य कमिज़्कों ने राशि जमा नहीं कराई है। इसमें से कईयों के तबादले होने के कारण नोटिस की तामील नहीं हो पाई है। लेकिन अब इन कामिज़्कों के खिलाफ सूची तैयार कर संभागीय आयुक्त के समक्ष भिजवाई जा रही है ताकि चाजज़्शीट या एफआईआर दजज़् की प्रक्रिया शुरू हो सके।